Thursday, August 27, 2015

दिल्ली में कैदियों में गेंगवार दो की हत्या ..

.. देश की राजधानी दिल्ली में बदमासो की गेंगवार इस कदर की इसके चलते तिहाड़ जेल के कैदियों ने दो कैदियों की हत्या कर दी ... मंगलवार को दिल्ली के रोहिणी कोर्ट से तिहाड़ जेल जा रही कैदियों की वैन में कैदियों के दो गुटो का  आपस में हुआ झगड़ा । आपसी झगड़ा नीरज बवानीया गैंग और नीतू दाबोदिया गैंग में हुआ । दोनों गैंग के खूंखार अपराधी एक ही वैन में थे और सभी हत्या के मामले में जेल में बन्द है । नीतू दाबोदिया गैंग के दो लोगो की इस वैन में हुई गैंगवार में मौत हो गई । बाहरी जिला पुलिस ने इन खूंखार कैदियों को इस मामले में रोहिणी कोर्ट में पेश किया पर कोर्ट के आसपास दोनों पक्षों के लोग होने की आशंका के चलते इन कैदियों को रोहिणी कोर्ट की लोकअप से कोर्ट रूम तक ले जाने में भी खतरा था ..इसलिए पुलिस ने जज साहब को लिखित में अप्लिकेशन देकर लोकअप रूम में ही सुनवाई की मनाग की .. पुलिस ने बार एप्लीकेशन देकर सुरक्षा कारणों का हवाला दिया आखिरकार इसके बाद खुद कोर्ट कोर्ट रूम से चलकर लोकअप में आई और वहीं पर सुनवाई हुई ..कोर्ट ने दो कैदियों की हत्या करने वाले इन सातो आरोपियों को नौ सितम्बर तक ज्युडिशियल कसटीडी में भेज दिया है ..
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ये शव है नीतू दाबोदिया गेंग के कुख्यात अपराधी प्रदीप और पारस @गोल्डी के ।  इन्हें पुलिस वैन में रोहिणी कोर्ट से तिहाड़ जेल ले जाया जा रहा था । एक ही वैन में नौ कैदी थी । जिनमे दो अलग अलग गुटो के थे । नीरज बवानीया भी इसी वैन में था दोनों गुटो में झगड़ा हुआ  ।  पुलिस वैन में दोनों को सिर पर कूद कूदकर बेरहमी से मारा गया है । पुलिस की इस वैन में जो नौ कैदी थे सभी हत्या के मामलों में बंद थे ... कई राज्यों में इनका आतंक है और जेल से ही ये खूखार लोग अपनी गेंग चला रहे है और अवैध वसूली जैसे काम कर रहे है .. कैदियों की इस वैन में कैदियों के कैबिन के आगे पीछे हथियारों के साथ पुलिस के जवान थे .. पर किसी ने कोई फायरिंग भी नही की न ही बेहोशी का स्प्रे किया .. नीतू दाबोदिया गेंग के दोनों कैदी प्रदीप और पारस पुलिस से छुडवाने की भीख मांगते रहे पर नीरज बवानिया और उसके छे दुसरे कैदी साथियों ने गला कपड़े दबाकर और सिर में चोट मारकर बेरहमी से इन कैदियों को मार डाला ..पुलिस का कहना है की पूरी वारदात की साजिश तीन महीने पहले इस ग्रुप ने रची थी ... मेन शिकार पारस था ..नीतू दाबोदिया के बाद पारस ही इस गेंग को चला रहा था .. उसकी अगुवाई में नीरज बवानिया गेंग के पंडित की हत्या की गई थी जिसका बदला लेने के लिए नीरज बवानिया और उसके साथियों ने इस वारदात को अंजाम दिया जिसमे पारस के साथ प्रदीप भी मारा गया ..
बाईट - विक्रमजीत सिंह DCP बाहरी दिल्ली ..


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रोहिणी कोर्ट में पुलिस जबरदस्त बन्दोबस्त में आरोपियों को रोहिणी  कोर्ट की लोकअप में लाइ .. इन सात में खुद नीरज बवानिया भी शामिल था .दुसरे गिरोह से हमले की आशंका देखते हुए इन सातो को कोर्ट रूम में नही ले जाया गया बल्कि पुलिस ने जज साहब को लोकअप रूम में सुनवाई के लिए अर्जी लगाई ... जज साहब ने पहले तो पुलिस की अर्जी खारिज की लेकिन दूसरी बार सुरक्षा के लिहाज से अनुरोध की ये अर्जी कोर्ट ने स्वीकार कर ली और खुद कोर्ट चलकर लोकअप रूम में आई और वही सुनवाई हुई ... रामबीर शौक़ीन गेंग की तरफ के वकील ने जेल में सुरक्षा मांगी ताकि इनपर कोई हमला न हो जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया .. और नौ सितम्बर तक सातो आरोपियों को ज्युडिशियल कसटीडी भेज दिया
 बाईट - संदीप कुमार ( वकील नीरज बवानिया )
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अब सवाल कई खड़े होते है की उस वक्त वैन में दूसरे पुलिसकर्मियो ने क्यों नही बचाया ?
अलग अलग गैंग के लोग एक ही वैन में कैसे लाये गए वे भी सभी मर्डर केस के अपराधी  ?
एक ही वैन में लाने के पीछे और इस हमले के पीछे कोई साजिस तो नही जिसमे कोई जेल अधिकारी भी शामिल हो ?
इस तरह के कैदियों की वेंन में पुलिसकर्मियों के पास बेहोशी का स्प्रे होता है जिसे चलाकर उनके कैबिन की जाली से पुलिस उन्हें बेहोश कर सके उस स्प्रे से इनको बेहोश कर इन कैदियों की क्यों नही मर्डर से बचाया ...
एक गुट के साथ और दुसर गुट के मात्र दो कैदी एक साथ वेंन के कैबिन में बंद किये वे भी वो लोग जो एक दुसरे के जानी दुश्मन थे और इसके चलते तिहाड़ में भी इनको अलग अलग वार्ड में रखा गया है ...
मारे गये कैदियों ने पिछले दिनों दिल्ली हरियाणा बोर्डर पर चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मी रामकिशन की हत्या की थी कहीं पुलिस अपने जवान के हत्यारों को इस अंजाम तक तो नही पहुंचाना चाहती थी ..
अब दिल्ली पुलिस अपने ही विभाग की इसमें मिलीभगत के लिहाज से जांच कर रही है पर घटना से साफ़ है की अपराध की दुनिया की उम्र लम्बी नही यदि वो कानून से कुछ वक्त बच भी गये तो बाहर की दुनिया से भी इनका बचना आसान नही होता ...
अनिल अत्री दिल्ली


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