Saturday, December 11, 2010

भारत के पूर्व सम्राट जार्ज पंचम कि मूर्ति व स्थल बदहाल ....कर रहे है कबूतर बीट ....





आज जोर्जे पंचम की ताज पोशी को पुरे निन्यानवे साल हो चुके हैं परन्तु उनके ताजपोशी के यादगार में बनी स्मारक की फाइलों को पिछले पचास सालों से नगर निगम पी डब्लू ड़ी और डी.डी.ए. के दफ्तरों की खाक छाननी पड़ रही है. लगभग पचास साल पहले साठ के दशक में तत्कालीन नगर निगम द्वारा एक महत्वकांक्षी योजना बनाई गई थी. जिसके तहत दिल्ली की सभी सडकों पार्कों आदि के ब्रिटिश कालीन नामों को बदलकर भारतीय योधाओं राजाओं व महापुरुषों के नाम पर बदला जाना था..राजधानी के विभिन्न चौराहों पार्कों आदि से ब्रिटिश शासनकालीन राजाओं की मूर्तियों के स्थानातरण की योजना थी..इसी योजना के तहत सभी मूर्तियों को उत्तरी दिल्ली स्थित कोरोनेशन पिलर मैदान में स्थापित कर एक पर्यटक स्थल का रूप दिया जाना था...लेकिन आधी शताब्दी बीत जाने के बाद भी भारत के पूर्व सम्राट व् हमारी ऐतिहासिक धरोहर लालफीता शाही व् नौकर शाही के चलते एक जीर्ण शीर्ण स्थल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. ..
उत्तरी दिल्ली का यह कोरोनेशन पार्क ऐतिहासिक है...यह गवाह है तत्कालीन सम्राट जोर्ज पंचम की ताजपोशी का ---- लगभग 570 रियासतों और रजवाडो के जोर्जे पंचम के दरबार में हाजिरी देने का... ये गवाह है नयी दिल्ली के आगाज का..-----1911 में सर एडविन लुटियन को दिए गए आदेश का, जिसके बाद उन्होंने नयी दिल्ली को बसाने की योजना बनाने का कार्य शुरू किया...६० के दशक में जब तत्कालीन दिल्ली नगर निगम के गलियारों में देशभक्ति की धुन जागी, तो उन्होंने दिल्ली में स्थित विभिन्न सांस्कृतिक धरोहरों को उखाड़कर या उनका अंग्रेजों के नाम पर रखा गया नाम बदलकर इन मूर्तियों को एक स्थान पर स्थापित करने की योजना बनाई, मसलन इण्डिया गेट पर लगे र्जोर्ज पंचम की मूर्ति को वहाँ से हटा कर यहाँ लाया गया साथ ही उसका नाम किंग्स वे से बादल कर राजपथ रखा गया ....क्वींस वे जनपथ बना तो कर्जन रोड का नाम बादल कर कस्तूरबा गाँधी मार्ग रखा गया ....कुछ मूर्तियाँ यहाँ लगी..कुछ नहीं लगी..कुछ चोरी हो गयी..कुछ क्षतिग्रस्त हो गयी...और यह पार्क इस हालत में पहुच गया.. जगह जगह टूटे हुए स्तम्भ..जोर्ज पंचम की मूर्ति पर बैठे कबूतरों की फ़ौज..दमघोंटू बदबू का माहौल लिए हुए इस पार्क को समय रहते एक स्वच्छ एवं दर्शनीय स्थल के रूप मैं विकसित कर दिया जाता तो आज कॉमन वेल्थ गेम्स में आये हजारों ब्रिटिशर्स ने इसे और ही नजर से देखा होता...मगर यह कोरोनेशन पार्क यह दर्शाता है सरकारी दफ्तरों में फाईलें किस तरह धुल फांकती है..अब जब जोर्ज पंचम के राज का यह हाल है और जनता का तो भगवान् ही मालिक है....
बाईट---आदर्श भल्ला ( पूर्व सदस्य कार्यकारणी,INTACH )
कभी यहाँ एक झील हुआ कराती थी...जो अब गंदे और सड़ते हुए पानी का एक छोटा सा गड्ढा ससा बन के रह गया है ---और यह ऐतिहासिक पार्क खेल का मैदान है...इन जीर्ण शीर्ण स्तंभों की हालत देखर कोइ भी यह अंदाजा लगा सकता है की आज यहाँ पर्यटक नहीं आते...योजना इन पर मूर्तियों को स्थानांतरित करने की थी..कुछ लगी भी गए...किन्तु सुरक्षा एवं रखरखाव के आभाव में या तो वे चोरी हो गयी या खंडित हो गयी.... कुछ को म्यूजियम भेज दिया गया तो कुछ को इस चारदीवारी में समेट दिया गया....आज इस चारदीवारी में मात्र पांच ही मूर्तियाँ है....लेकिन न कोइ इन्हें देखने आता है ओर न ही कोई इनके बारें में जानना चाहता है..
बाईट--- राधे शाम त्यागी ( एन.टी.एस. कोरोनेसन पार्क )
बाईट---योगेश ( स्थानीय निवासी )
इस पार्क के निर्माण में आज से करीब पेंतालिस साल पहले कुल 9 लाख पोंड के करीब खर्च हुआ --- इस पार्क में 6 लाख रियासतों के प्रमुखों ने यह धन एकाक्त्रित किया..ओर 6 लाख तत्कीन सरकार ने दिया...लेकीन आज इस पार्क की जेर्जर हालत इस बात को बयान करती है की सरकार की लापरवाही किसी योजना को किस हद तक ठन्डे बसते में डाल सकती है...अब ४० साल बाद कोरोनेशन के समारोहों के शताब्दी वर्ष पर होने वाले समारोह के लिए सरकार नींद एक बार फिर टूटी है ओर इस पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है ताकि हम ब्रिटेन से आने वाले अपने अतिथियों का स्वागत इस पार्क में एक बार फिर से कर सकें...

Anil Attri Delhi......................

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