









सरकार शिक्षा सुधार के बड़े बड़े दावे करती हैं .शिक्षा का अधिकार क़ानून बना दिया ..पर सारे सरकारी दावों की पोल देश के दूर दराज नही बल्कि रास्ट्रीय राजधानी दिल्ली मैं खुल जाती हैं ..जहाँ सरकारी स्कूलों के हालात ऐसे हैं की ज्यादा बारिस के टाइम माँ बाप अपने ब्च्च्चों को स्कूल नही जाने देते उन्हें पता हैं की उनका बच्चा स्कूल के आगे रोड पर जमा पानी को पार नही कर पायेगा वो डूब सकता हैं .उसकी जान ज्यादा कीमती हैं पढाई की बजाये .. ऐसा हाल हैं बाहरी दिल्ली के भोरगढ़ गावं के नये डंग से बने सरकारी स्कूल का यहा स्कूल के आगे तिन चार फीट पानी चडा हैं ..छोटे बच्चे डर से स्कूल नही आ रहे हैं बड़े बच्चों के जूते व पाँव इस पानी मैं भीग जाने से खराब हो जाते हैं ..क्योकि इस पानी मैं आद्योगिक एरिया होने से केमिकल मिले होते हैं जो बच्चों की त्वचा भी खराब कर रहे हैं ...
ये कोई संसद की बिल्डिंग नही ये संसद के आकार का बना एक सकूल हैं ...ये स्कूल की बिल्डिंग डी एस आई डी सी ने बनाई हैं ..ये हैं बाहरी दिल्ली के नरेला एरिया के भोरगढ़ का गोरमेंट कोएजुकेशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल भोरगढ़.....कहने को तो ये नये जमाने का स्कूल हैं दिल्ली के सरकारी स्कूलों मैं शायद ही कोई इससे बडिया बिल्डंग का स्कूल होगा ...लेकिन इस स्कूल की पूरी सुन्दरता को यहा की सडकों ने कलंकित कर दिया ..यहा ये आद्योगिक एरिया मैं बना हैं ..इसके दो मेन गेट हैं दोनों के आगे पानी चद गया हैं..इस पानी पानी फेक्टरियों से निकले केमिकल भी हैं ...यहा ये पानी थोड़ी सी बारिस मैं ही जमा हो जाता हैं ...आप खुद देखिये यहा दोनों गेटों का क्या हाल हैं ????बच्चों को केसे इसको पार करना पड़ रहा हैं ये इनका रोज का काम हैं ये हाल तो तब हैं जब बारिस थोड़ी सी हुई हैं ..जब ज्यादा बारिस होती हैं तो बच्चों का आना खतरे से खाली नही होता ..इसी वजह से अभिभावक अपने छोटे बच्चों को ज्यादा पानी चड़ने पर स्कूल नही भेजते ..बच्चों के बेग भीग जाते हैं वे फिसल कर पड़ जाते हैं ..उनकी वर्दी खराब हो जाती हैं ....
यहा के लोगों ने कई बार शिकायत की पर कोई सुनवाई नही ...पी टी ए के मेंबर कई बार शिकायत कर चुके हैं पर ये पानी ज्यों का त्यों चडा हैं ..कई बच्चे व टीचर यहा की गंदगी की वजह से पनपे मच्छरों की वजह से बीमार हैं इनकी माने तो कोई टीचर भी यहा रूकने व आने को तेयार नही होता इस नरक के कारण ....अब पूरे गावं के लोग अपने बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं ..बच्चों का पढाई मैं मन नही लगता उन्हें तो इस कीचड़ व नर्क की चिंता रहती हैं ....
कहने को तो शिक्षा का अधिकार क़ानून बना दिया पर असली स्थिति ये हैं केसे ये बच्चे पब्लिक स्कूलों से मुकाबला कर पायेगे इन्हें सुविधाए ही नही ..इससे गरीबों के बच्चे केसे आगे बढ पायेगे ये गरीबों के साथ अन्याय होगा... लोगों को इन्हीं हालातों के कारण प्राइवेट स्कूलों की तरफ जाना पड़ता हैं और शिक्षा भी एक व्यवसाय बन गई हैं ...
अनिल अत्तरी .............
सरकारी स्कूलों को जान बूझकर बर्बाद करने की साजिश चल रही है ,जिससे शिक्षा माफिया और बिल्डर माफिया द्वारा चलाये जा रहे स्कूलों को बढ़ावा मिल सके और शिक्षा का सत्यानाश हो | बेहद शर्मनाक अवस्था है ...?
ReplyDeleteOur Parliament....passes the Right to Education...but Department Of Education....fails
ReplyDeleteto contribute itself for the sake of students....
Kalpana Bisht