Tuesday, June 29, 2010

कुश्ती के दिग्गज पदमश्री मास्टर चंदगी राम नहीं रहे...



कुश्ती के दिग्गज पदमश्री मास्टर चंदगी राम नहीं रहे...पॉँच दिन अस्तपाल में रहने के बाद आज सुबह हुआ निधन--कुश्ती जगत में शोक...

आज जैसे ही सुबह का सूरज उदय हो हो रहा था कि कुश्ती जगत का एक जगमगाता सितारा सदा के लिए सो गया...हिंद केसरी..भारत केसरी..भारत भीम सहित पदमश्री और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित ६३ वर्षीय मास्टर चन्दगीराम का जन्म हरियाणा के हिसार में सन १९३७ में हुआ..हरियाणा के जिला हिसार के सिसाई गांव में 9 नवंबर, 1937 में जन्मे चंदगीराम शुरू में कुछ समय के लिए भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में सिपाही रहे और बाद में स्कूल टीचर होने के कारण उनको 'मास्टर चंदगीराम' भी कहा जाने लगा था। सत्तर के दशक के सर्वश्रेष्ठ पहलवान मास्टर जी को 1969 में अर्जुन पुरस्कार और 1971 में पदमश्री अवार्ड से नवाजा गया।

मास्टर चंदगी राम ने अपना पुरा परिवार ही नहीं रिश्तेदार भी कुश्ती जगत के लिए समर्पित कर दिया...भारत में महिलाओं कि रूचि कुश्ती कि और बढ़ने का श्रेय भी एकमात्र उन्ही को जाता है...इनके परिवार में तीन सदस्य भारत केसरी विजेता है..इनकी तीन बेटियां और तीन बेटों सहित सभी नाती पोते भी कुश्ती से जुडी ही नहीं है बल्कि कई राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सफलता के झंडे गाड़ चुकें है..
ईरान के विश्व चैम्पियन अबुफजी को हराकर बैंकाक एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना उनका सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन माना जाता है। उन्होंने 1972 म्युनिख ओलम्पिक में देश का नेतृत्व किया और दो फिल्मों 'वीर घटोत्कच' और 'टारजन' में काम किया और कुश्ती पर पुस्तकें भी लिखी। इनका निधन भारत के कुश्ती जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति है..

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