Monday, June 7, 2010
अपने जीवन भर की जमा पूंजी लगाकर इन लोगों ने अपना आशियाना बनाया..लेकिन इन पर अब आफत आ रही है..
श्रीमान जी वर्तनी नही केवल भाव देखिये ...इंडिक में लिखते हें अशुधियां जरूर होती हें ..........
नरेला में खेती के उपयोग की जमीन पर बसी कोलोनियों की जांच अब एंटी क्राईम ब्यूरो के मुकदमें दर्ज करने के बाद तेज़ी शुरू हो गयी है...नरेला बवाना और अलीपुर में करीब 100 एकड़ कृषि भूमि पर बनी इन अवैध कोलोनियों खतरे के बादल मंडराने के बाद जहाँ इन कोलोनियों में अपने खून पसीने की कमाई से आशियाना बना कर रहे रहे लोग दहशत में है वहीँ डीलर भी डरे हुए है...
नरेला की गोतम कोलोनी के लोग अब दहशत में है....अपने जीवन भर की जमा पूंजी लगाकर इन लोगों ने अपना आशियाना बनाया..लेकिन इन पर अब आफत आ रही है..दरअसल यह कोलोनी नरेला बवाना और अलीपुर की उन दर्ज़नों कोलोनियों में से एक है जो भूमाफिया और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध रूप से बसाई गयी है...अब एंटी क्राईम ब्रांच ने उन लोगों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है...इस मामले में मुक़दमा दर्ज होने के बाद जहाँ प्रोपर्टी डीलर डरे हुए है वहीँ यहाँ के Logon की भी नींद उड़ गयी है....इन्हें यह समझ नहीं आ रहा की बिजली पानी, सड़क सफाई और नाली की सुविधा जब सरकार यहाँ दे रही है तो यह कोलोनी अवैध कैसे हो गयी...कसूर पुलिस प्रशासन और बिल्डर माफिया का और मुसीबत उनकी...
बाहरी दिल्ली के इस इलाके में जिस खेती पर कागजो में फासले लहलहा रही है वहां कंक्रीट की फसल कड़ी है..जिस तादाद में यहाँ कृषि भूमि पर कोलोनियाँ बसी है उसे देखकर कहा ही नहीं जा सकता की यहाँ प्रशासन नाम की कोइ ऐसी मशीनरी है जो इन पर नजर रख रही हो...सब की नजर इस धंधे से हो रही कलि कमाई पर है...कायदे से कृषि भूमि पर एक भी इंट एस.डी.एम्. की जानकारी के बैगर नहीं लग सकती...लेकिन यहाँ अब बिल्डिंगे कड़ी है...जमकर जमीनों की खरीद फरोख्त हो रही है...
बाहरी दिल्ली के इन इलाकों में केवल निजी खेती की जमीन पर ही कोलोनियाँ नहीं बसी बल्कि ग्राम पंचायत की जमीन पर भी दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम की धरा 81 माफियों को मोका और माहोल दे रही है जिससे वे सरकारी जमीन पर भी जमकर कब्जे ही नहीं करा रहे बल्कि बस्तियां भी बसा रहे है..ऐसा भी नहीं है की सरकार को इसकी जानकारी नहीं होती...शिकायत कर्ताओं की शिकायतों को इस गोरखधंधे से हो रही चंडी की चमक उनकी आँखों को बंद कर देती है...झंगोला गावं भी ग्राम पंचायत की 13 एकड़ जमीन पर बसा है...जिसकी जानकारी दिये जाने के बाद भी कोइ करवाई आज तक नहीं हुयी..
बाईट---कुलदीप मान (सामाजिक कार्यकर्त्ता )
लेकिन देर से ही सही अब जाकर एंटी क्राईम ब्रांच के मुकदमें के बाद उमेद जगी है की इस जाँच में पुलिस प्रशासन और बिल्डर माफिया के गठजोड़ की गांठें शायद कुल जायें...जाँच का नतीजा चाहे जो हो...दोषी पुलिस प्रशासन को चाहे जो सजा मिली उन्हें शायद इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा..पड़ेगा तो उन हजारों परिवारों को जिनके जीवनभर की जमा पूंजी यहाँ घर बनाने में लगी है....यहाँ दोष केवल प्रशासन का ही नहीं सरकार की नियत और काबिलियत का भी है...दिल्ली में लाल डोरा का दायरा पिछले 50 सालों से नहीं बढ़ा..जबकि इन गांवों और कस्बों में आबादी बेहिसाब बड़ी है...जो जरूरत सरकार नहीं पूरी कर सकी वह ये माफिया कर रहे है...नियम कानूनों को टाक पर रखकर...जाहिर है समस्या सिस्टम में भी है..
Anil Attri ..........
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गलत काम गलत काम ही होता है। अवैध कॉलोनियां एक बड़ी समस्या बनती जा रही हैं।
ReplyDeleteइसे रोकने के लिए बहुत प्रयास हो रहे हैं पर क्या करें सफलता ही नहीं मिल पा रही है।
ReplyDeletehttp://udbhavna.blogspot.com/
यह सब मिली भगत के कारण होता है ऊपर से लेकर नीचे तक सब को पता होता है.....लेकिन पैसा बनाने के लालच मे कोई मुँह नही खोलता....और भुगतना गरीब को पड़ता है.....सरकार को चाहिए कि या तो वह पहले ऐसी कालोनीयां बनने ही ना दे....यदि बन चुकी है तो फिर उचित कदम उठाए ताकी गरीब जनता को राहत मिल सके
ReplyDeleteभू माफिया सिस्टम को अपने हिसाब से खरीद कर तोड़ मरोड़ लेते हैं और भुगतता उपभोक्ता है.
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