Friday, November 27, 2009

जिसने समाज को सिर्फ दिया है उससे कम लिया है समाज उसका सदैव ऋणी रहता है


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एंकर - जिसने समाज को सिर्फ दिया है उससे कम लिया है समाज उसका सदैव ऋणी रहता है और उसके मरने के बाद भी उसे याद करता है। कुछ लोग परोपकार का ही जीवन जीते है... परोपकार ही उनके लिये सबकुछ होता है...चाहे कितना भी व्यस्त जीवन क्यो न हो वे समाज सेवा के लिये टाइम जरूर निकालते है..... वैसै लोगो के पास समय नही होता पर परोपकारी लोग सेवा के लिये इन्तजार नही करते... ऐसे ही एक शख्श है उत्तरी पश्चिमी दिल्ली अशोक विहार फेस फॉर के फतेसिंह ..ये दूध बेचने का काम करते हें ..लोगो के घर घर दूध पहुचाकर अपना व अपने परिवार का गुजारा चलाते हें ... लेकिन शायद कम ही लोग जानते हें की ये नेशनल व इंटर नेसनल जिम्नास्टिक खिलाड़ी तेयार करते हें .... ये किसी से कोई एक पैसा भी नही लेते ..ना ही कोई एन जी ओ चलाते हें ..ये जो कर रहे हें एक अकेले के भूते पर ही कर रहे हें .... और दे रहे हें देश को जिम्नास्टिक के खिलाड़ी ... ख़ास बात ये की इनके पास ना तो स्टेडियम की सुविधा हें न ही खेल का जरूरी सामान .. यहा तक की मेट भी नही हें .फिर भी खुले सरकारी पार्क में ये जब बच्चों को सिखाते हें तो सभी का मन मोह लेते हें .. इनके बच्चों का का अभ्यास देख सभी दाँतों तले उंगली दबा लेते हें ....इनके खुले पार्क में अभ्यास करने वाले बच्चे छे नेशनल मेडल व दिल्ली जिम्नास्टिक में इनके बच्चे अस्सी परतिशत मेडलिस्ट हें .......
वी ओ १
ये शख्श हें फतेसिंह जो पेसे से दूध विक्रेता ...ये कभी जिम्नास्टिक के खिलाड़ी होते थे पर अपने पारिवारिक वजह से ये खुद इस खेल में ज्यादा आगे नही बढ पाए ... फिर इन्होने अपने खुद के बच्चों को जिम्नास्टिक सिखाना शुरू किया वो भी अशोक विहार फेस फॉर ले इस पार्क में ... इनकी खुद की बेटी देखते ही देखते नेशनल जिम्नास्टिक खिलाड़ी बन गई ... और दिल्ली में छे साल से चैम्पियन हें ... ये देखकर आस पास के बच्चे भी आने लगे और जो बच्चे यहा आते वे स्कूलों में भी गेम में मेडल लाने लगे और पता चलता गया यहा पार्क में फतेसिंह के पास बच्चे बड़ते चले गये ...चैम्पियन बनते गये ओअर ये काफिला बदता गया .................... और पूरे इलाके में नाम हो गया शाम के टाइम यहा बच्चों के माँ बाप अपने बच्चों को यहा लाने लगे .... यहा कोई सुविधा नही .. स्टेडियम नही .. उपकरण नही .. खुले पार्क में आप देख रहे हें ये बच्चे केसे अभ्यास कर रहे हें ..... अभ्यास करते ये बच्चे अब मामूली बच्चे नही रह गये हें .. ये कोई स्टेट लेवल तो कोई नेशनल लेवल का खिलाड़ी हें .....ख़ास बात ये की सुविधाए जीरो होने के बावजूद भी इस खुले पार्क से स्टेट खेलने वालों की संख्या दिल्ली जिम्नास्टिक एसोशियेशन के बराबर हें .... जिम्नास्टिक एसोशियेशन के पास सरकारी कोच , स्टेडियम , मेट व दूसरी सभी सुविधाए होती हें पर यहा खुले पार्क में आप देख रहे हें ये बच्चे केसे अभ्यास कर जिम्नास्टिक एसोशियेशन के बराबर मेडल ला रहे हें ... जो अपने आप में एक भुत बड़ी उपलब्धी हें ....इनका मानना हें की यदि इनके पास जो स्टेडियम में सुविधाए हें उनका पचीस परतिशत सुविधाए भी इनके पास हो तो ये इंटर नेशनल खिलाड़ियों की एक सेना तेयार कर सकते हें ...
बाईट - फतेसिंह ....
वी ओ २
यहा सुविधाओं के नाम पर हें दो चार टूटे फूटे गद्दे ... और ये होरिजेंटल बार जिस पर बच्चे अभ्यास करते हें .. ये होरिजेंटल बार मार्केट में जिसकी कीमत छबीस हजार हें बच्चों को अभ्यास के लिए इसकी जरूरत थी पर फतेसिंह के पास इतने पेसे भी नही थे बस इनके पास तो विद्या व मेहनत थी .. इन्होने एक दो बच्चों के पेरेंट्स का सहयोग लेकर इस होरिजेंटल बार का जुगाड़ बनाया जो मात्र पाच हजार में बन गया और इस जुगाड़ पर अभ्यास कर ये बच्चे स्टेडियमों के बच्चों को हराकर मेडल लाते हें ....
बाईट - फतेसिंह ....
v. o. 3
अब यहा अशोक विहार के आस पास के लोग फतेसिंह के इन परयासों से काफी खुश हें और कई पेरेंट्स अपने बच्चों को लेकर शाम होते ही यहा आ जाते हें .. इनका मानना हें की यहा आने से इनके बच्चे स्कूल से मेडल लाते हें .. इनमे नेतिकता आती हें व बच्चों की कसरत होती हें और इनकी सेहत भी सही रहती हें .... रामकिशोर जी का खुद का बचा भी आता हें इनकी ही जुबानी सुनिए ...
बाईट - रामकिशोर
वी ओ ४
अब यहा के लोगो का व इनका खुद की भी मांग हें की इनके यहा सिखने वाले बच्चों को कुछ सुविधाए तो जरूर मिलनी चाहिए ....यहा किसी से फीस के नाम पर व किसी भी तरह के चंदे के नाम पर एक पैसा भी नही लिया जाता .. बल्कि फतेसिंह अपने दूध का कारोबार भी सिर्फ सुबह के ही टाइम कर पाता हें शाम का टाइम ये बच्चों को देता हें इस कारण अपना दूध का काम ये शाम के टाइम नही का पाते ... लेकिन बच्चो को ये सब सिखाकर ये बेहद खुश हें .... यहा दिल्ली के कई हिस्सों से बच्चे आते हें
बाईट - फतेसिंह ( टेक्स्ट - में अपना दूध बेचने का काम सिर्फ सुबह करता हूँ शाम को यहा बच्चों को सिखाने आना होता हें इसी कारण शाम को दूध काम नही करता ....)
वी ओ ४
यहा ज्यादा तर बच्चे पास की वजीरपुर जे जे कालोनी से आते हें ... इस जे जे कालोनी के बच्चे मेडल ला रहे हें .. इलाके नाम कमा रहे रहे हें .. इससे बड़ी उपलब्धी फतेसिंह के लिए क्या हो सकती हें ... इनका कहना हें की लोगो की धरना होती थी की जे जे कालोनी के बच्चे नशेडी , चोर , व असभ्य होते हें पर यहा जे जे कालोनी के बच्चों में मेनर हें ये ऊपर उट्टे हें .. इसी लिए हिंदी कवी ने भी कहा हें ..
द्र्स्टी भेद ही गुण दोष सिखलाता हें ,
कोई कमल की कली देखता हें कीचड़ में , किसी को चाँद में भी दाग नजर आता हें /

ANIL ATTRI






एंकर - येतो आपने देखा की फतेसिंह केसे देश के लिए निस्वार्थ भाव से खिलाड़ी तेयार कर रहे हें ..अब आप को दिखाते हें की ये बच्चे भी गुरू से कम नही हें जो इतने अभावों में भी अभ्यास कर मेडल पर मेडल ला रहे हें ... अपना परचम जिम्नास्टिक की दुनिया में लहरा रहे हें .....
वी ओ १ इन बच्चों की गर्दन आप देख रहे हें मेडलों के वजन में झुकी हुई हें .. इनके ये नेशनल व स्टेट के सर्टिफिकेट देखिये ..... ये सभी इस पार्क की देन हें .. ये पार्क ही इनका स्टेडियम हें ... इनके पास सिर्फ ये तीन से चार फटे पुराने गद्दे हें ... इन्ही पर ये अभ्यास करते हें और पर्तियोगिताओं में महेगे मेटो पर जिम्नास्टिक में मेडल लाते हें .. आप खुद देखए हरी घास पर अभ्यास करते ये छोटे छोटे बच्चे ... केसे ये जिम्नास्टिक कर रहे हें ... इनका घुमाव देखिये .... देखए इस छोटे से बचे की उम्र और ये घुमाव .. ये करतब .. इसी बच्ची ................ को देखिये ये लगातार छे साल से दिल्ली में चम्पियन हें . नेशनल लेवल पर भी मेडल ले चुकी हें .. ये यही सीखी हें और यही अभ्यास करती हें ....
बाईट - Minakshi ( Delhi Champion )
वी ओ २ अब इसी बच्चे को देखिये ये इक्कीस गोल्ड , चार सिल्वर , व दो ब्रोवन्स मेडल जीत चुके हें वो भी यही इसी पार्क में अभ्यास कर .... इनका कहना हें की यदि इनके पास सुविधाए होती तो ये जरूर कॉमन वेल्थ में खेलते ...........
बाईट - Jatin Kumar ( Medalist )
वी ओ ३ इनका अभ्यास व चुस्ती देखिये ये छोटे छोटे मासूम भी अभी से यहा तेयारी जुटे में हें ये छे साल का छोटा सा मनू देखिये ( नाम बता रहा हें .. ट्रेक सूट में हें .. ) ये भी दो मेडल इस पार्क के लिए जित कर ला चुका हें .. दुसरे भी ये बाल खिलाड़ी क्या कहते हें खुद ही सुनिए ...
बाईट - 1 मनू . ( छोटा चैम्पियन )
2 मयंक ( छोटा चैम्पियन )
3 महक ( छोटा चैम्पियन )
वी ओ ४ अब आप खुद देखिये ये बच्चे खुद अपने फटे पुराने चार गद्दे लाते हें और अपने गुरू के आदेश को पाते ही शरू कर देते हें अभ्यास ..... इन बच्चों को अपने गुरू पर पूरा गर्व हें ... इस कारण हम फते सिंह के बारे में कह सकते हें की परोपकार सच्चे मनुष्य की पहचान है। अपने लिए तो सभी जीते हैं, परंतु सही मायने में उसी का जीवन सार्थक होता है, जो दूसरों के लिए जीता है।
ANIL KUMAR ATTRI 09211514000

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एंकर - जिसने समाज को सिर्फ दिया है उससे कम लिया है समाज उसका सदैव ऋणी रहता है और उसके मरने के बाद भी उसे याद करता है। कुछ लोग परोपकार का ही जीवन जीते है... परोपकार ही उनके लिये सबकुछ होता है...चाहे कितना भी व्यस्त जीवन क्यो न हो वे समाज सेवा के लिये टाइम जरूर निकालते है..... वैसै लोगो के पास समय नही होता पर परोपकारी लोग सेवा के लिये इन्तजार नही करते... ऐसे ही एक शख्श है उत्तरी पश्चिमी दिल्ली अशोक विहार फेस फॉर के फतेसिंह ..ये दूध बेचने का काम करते हें ..लोगो के घर घर दूध पहुचाकर अपना व अपने परिवार का गुजारा चलाते हें ... लेकिन शायद कम ही लोग जानते हें की ये नेशनल व इंटर नेसनल जिम्नास्टिक खिलाड़ी तेयार करते हें .... ये किसी से कोई एक पैसा भी नही लेते ..ना ही कोई एन जी ओ चलाते हें ..ये जो कर रहे हें एक अकेले के भूते पर ही कर रहे हें .... और दे रहे हें देश को जिम्नास्टिक के खिलाड़ी ... ख़ास बात ये की इनके पास ना तो स्टेडियम की सुविधा हें न ही खेल का जरूरी सामान .. यहा तक की मेट भी नही हें .फिर भी खुले सरकारी पार्क में ये जब बच्चों को सिखाते हें तो सभी का मन मोह लेते हें .. इनके बच्चों का का अभ्यास देख सभी दाँतों तले उंगली दबा लेते हें ....इनके खुले पार्क में अभ्यास करने वाले बच्चे छे नेशनल मेडल व दिल्ली जिम्नास्टिक में इनके बच्चे अस्सी परतिशत मेडलिस्ट हें .......
वी ओ १
ये शख्श हें फतेसिंह जो पेसे से दूध विक्रेता ...ये कभी जिम्नास्टिक के खिलाड़ी होते थे पर अपने पारिवारिक वजह से ये खुद इस खेल में ज्यादा आगे नही बढ पाए ... फिर इन्होने अपने खुद के बच्चों को जिम्नास्टिक सिखाना शुरू किया वो भी अशोक विहार फेस फॉर ले इस पार्क में ... इनकी खुद की बेटी देखते ही देखते नेशनल जिम्नास्टिक खिलाड़ी बन गई ... और दिल्ली में छे साल से चैम्पियन हें ... ये देखकर आस पास के बच्चे भी आने लगे और जो बच्चे यहा आते वे स्कूलों में भी गेम में मेडल लाने लगे और पता चलता गया यहा पार्क में फतेसिंह के पास बच्चे बड़ते चले गये ...चैम्पियन बनते गये ओअर ये काफिला बदता गया .................... और पूरे इलाके में नाम हो गया शाम के टाइम यहा बच्चों के माँ बाप अपने बच्चों को यहा लाने लगे .... यहा कोई सुविधा नही .. स्टेडियम नही .. उपकरण नही .. खुले पार्क में आप देख रहे हें ये बच्चे केसे अभ्यास कर रहे हें ..... अभ्यास करते ये बच्चे अब मामूली बच्चे नही रह गये हें .. ये कोई स्टेट लेवल तो कोई नेशनल लेवल का खिलाड़ी हें .....ख़ास बात ये की सुविधाए जीरो होने के बावजूद भी इस खुले पार्क से स्टेट खेलने वालों की संख्या दिल्ली जिम्नास्टिक एसोशियेशन के बराबर हें .... जिम्नास्टिक एसोशियेशन के पास सरकारी कोच , स्टेडियम , मेट व दूसरी सभी सुविधाए होती हें पर यहा खुले पार्क में आप देख रहे हें ये बच्चे केसे अभ्यास कर जिम्नास्टिक एसोशियेशन के बराबर मेडल ला रहे हें ... जो अपने आप में एक भुत बड़ी उपलब्धी हें ....इनका मानना हें की यदि इनके पास जो स्टेडियम में सुविधाए हें उनका पचीस परतिशत सुविधाए भी इनके पास हो तो ये इंटर नेशनल खिलाड़ियों की एक सेना तेयार कर सकते हें ...
बाईट - फतेसिंह ....
वी ओ २
यहा सुविधाओं के नाम पर हें दो चार टूटे फूटे गद्दे ... और ये होरिजेंटल बार जिस पर बच्चे अभ्यास करते हें .. ये होरिजेंटल बार मार्केट में जिसकी कीमत छबीस हजार हें बच्चों को अभ्यास के लिए इसकी जरूरत थी पर फतेसिंह के पास इतने पेसे भी नही थे बस इनके पास तो विद्या व मेहनत थी .. इन्होने एक दो बच्चों के पेरेंट्स का सहयोग लेकर इस होरिजेंटल बार का जुगाड़ बनाया जो मात्र पाच हजार में बन गया और इस जुगाड़ पर अभ्यास कर ये बच्चे स्टेडियमों के बच्चों को हराकर मेडल लाते हें ....
बाईट - फतेसिंह ....
v. o. 3
अब यहा अशोक विहार के आस पास के लोग फतेसिंह के इन परयासों से काफी खुश हें और कई पेरेंट्स अपने बच्चों को लेकर शाम होते ही यहा आ जाते हें .. इनका मानना हें की यहा आने से इनके बच्चे स्कूल से मेडल लाते हें .. इनमे नेतिकता आती हें व बच्चों की कसरत होती हें और इनकी सेहत भी सही रहती हें .... रामकिशोर जी का खुद का बचा भी आता हें इनकी ही जुबानी सुनिए ...
बाईट - रामकिशोर
वी ओ ४
अब यहा के लोगो का व इनका खुद की भी मांग हें की इनके यहा सिखने वाले बच्चों को कुछ सुविधाए तो जरूर मिलनी चाहिए ....यहा किसी से फीस के नाम पर व किसी भी तरह के चंदे के नाम पर एक पैसा भी नही लिया जाता .. बल्कि फतेसिंह अपने दूध का कारोबार भी सिर्फ सुबह के ही टाइम कर पाता हें शाम का टाइम ये बच्चों को देता हें इस कारण अपना दूध का काम ये शाम के टाइम नही का पाते ... लेकिन बच्चो को ये सब सिखाकर ये बेहद खुश हें .... यहा दिल्ली के कई हिस्सों से बच्चे आते हें
बाईट - फतेसिंह ( टेक्स्ट - में अपना दूध बेचने का काम सिर्फ सुबह करता हूँ शाम को यहा बच्चों को सिखाने आना होता हें इसी कारण शाम को दूध काम नही करता ....)
वी ओ ४
यहा ज्यादा तर बच्चे पास की वजीरपुर जे जे कालोनी से आते हें ... इस जे जे कालोनी के बच्चे मेडल ला रहे हें .. इलाके नाम कमा रहे रहे हें .. इससे बड़ी उपलब्धी फतेसिंह के लिए क्या हो सकती हें ... इनका कहना हें की लोगो की धरना होती थी की जे जे कालोनी के बच्चे नशेडी , चोर , व असभ्य होते हें पर यहा जे जे कालोनी के बच्चों में मेनर हें ये ऊपर उट्टे हें .. इसी लिए हिंदी कवी ने भी कहा हें ..
द्र्स्टी भेद ही गुण दोष सिखलाता हें ,
कोई कमल की कली देखता हें कीचड़ में , किसी को चाँद में भी दाग नजर आता हें /
ANIL ATTRI.........

1 comment:

  1. CHAAN MEIN BHALE HI DAAG HO MAGAR JANAAB VAHI TO HAI JO HAMAARE DILON MEIN UJJWAL ROSHNI AUR SHEETALTA PRADAAN KARTA HAI....VK SHARMA.9891196126

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