चन्द्रकान्ता - वस्तु और शिल्प
चन्द्रकान्ता देवकीनन्दन खत्री का तिलस्मी - ऐयारी उपन्यास है। मूल रुप से ये एक प्रेम कथा है। दो प्रेमियों के मिलने में अनेक बाधाएँ उपस्थित करते पक्ष- विपक्ष के अनेक शत्रु हैं, ऐयार हैं और सहायक भी हैं। इसमें जादुई इन्द्रजाल, अलौकिक कारनामों , खजाने की प्राप्ति के लिए संघर्ष, कोतुहल मुख्य है।
इसके शिल्प की यही सबसे बड़ी विशेषता है कि इसे पढने के लिए अनेक अहिन्दी भाषी लोगों ने हिन्दी सीखी । इसके संवाद बड़े ही रोचक हैं। प्रेमचन्द पूर्व उपन्यासों में ये एक चमकता सितारा है। इस उपन्यास ने परोक्ष रूप से हिन्दी भाषा के विकास में भी मदद की।
अनिल कुमार अत्री
जयहिन्दी...........
chandrakanta serial dekha karte thay,bahut bahut chote thay tab magar,kuch dhundhali si yaadein hi hai.magar wo tha bahut rochak.hame ye pata hi nahi tha ke aisakoi upanyas bhi hai,mila tho jarur padhenge.jankari ke liye shukran
ReplyDeleteहिन्दी के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए लेखकों द्वारा देवकीनन्दन खत्री जी की 'चंद्रकांता' जैसी अन्य रचनाओं को लिखे जाने की आवश्यकता है .. जो अहिन्दीभाषी लोगों को भी हिन्दी सीखने को मजबूर कर दे !!
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