देश कि राजधानी में बुजुर्ग बिल्कुल सुरक्षित नही है ....घर पर अकेले रहने वाले बुजुर्ग लोग आजकल क्रिमिनल लोगों का सोफ्ट निशाना बन चुके है ...परिवार अपने काम पर जाता है तो छोटे बच्चे स्कूलों में चले जाते है ..या परिवार किसी पार्टी या शादी में जाय तो घर में बुजुर्ग लोग ही अकेले रहते है ..लेकिन यहा बुजुर्ग जब अकेले होते है तो उन पर क्रिमिनल लोग निशाना साधते है ..लूटपाट ही नही बुजुर्गों कि जान भी ऐसे लोग ले लेते है ..ऐसे में बुजुर्गों कि सुरक्षा में दिल्ली पुलिस पूरी तरह नाकाम है ...पुलिस ऐसे क्राइम को रोक नही पा रही है ..ऐसे में दोष अकेले दिल्ली पुलिस का भी नही लोग भी अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह नही निभा पा रहे है ..अक्सर पुलिस को इस बात कि जानकारी पोरी तरह नही लग पाती कि किस घर में बुजुर्ग अकेले रहते है ..इसके लिए दिल्ली पुलिस सीनियर सिटिजन आदि कि वेरिफिकेशन भी करती है ..लोगों का फर्ज बनता है कि वे अपने बुजुर्गों कि जानकारी लोकल पुलिस में जरूर दर्ज कराए ..ताकि लोकल पुलिस को ये जानकारी रहे कि कौन बुजुर्ग किस जगह रहता है ..
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अब हमारा भी फर्ज बनता है कि यदि हमारे घर में भी कोई बुजुर्ग रहता है तो उसकी वेरिफिकेशन स्थानीय पुलिस स्टेशन में जरूर कराए ताकि इस तरह कि घटनाओं में कुछ कमी आ सके पर इस सब पर प्रश्न उस वक्त खड़ा हो जाता है कि जिस चीज कि जानकारी पुलिस को होती है उस पर पुलिस कितनी संजीदगी दिखाती है पुलिस के इस रवैये के कारण ही लोग विशावास कम करते है ..अब दिल्ली पुलिस को भी लोगों का विशावास जितने के लिए कुछ साकारात्मक कदम उठाने कि जरूरत है
अनिल अत्री ..........
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