.ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के मशहूर व्यंग्यकार श्रीलाल शुक्ल का आज लखनऊ स्थित सहारा अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे।....श्री लाल शुक्ल राग दरबारी के लेखक थे .... श्री लाल शुल्क ने हिंदी को एक गति प्रदान किया ...उनके मौत पर सुधीश पचौरी ने इसे हिंदी जगत का बहुत बड़ा धक्का बताया ...हलांकि पचौरी को यकीन था की शुक्ल जल्द ही ठीक हो कर वापस आ जायेंगे ...
बाईट - सुधीश पचौरी
शुक्ल के निधन पर हिन्दी साहित्य में शोक की लहर दौड़ गई है। भारतीय ज्ञानपीठ,जनवादी लेखक संघ प्रगतिशील लेखक संघ समेत कई साहित्यिक संगठनों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उनकी रचना राग दरबारी एक अमर कृति है जो आज पहले से भी ज़्यादा प्रासंगिक है। उनके जाने से हिंदी साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है।’
अभी जम्मू में हूँ 10 Nov के बाद दिल्ली आ पायेगें .......
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