Thursday, January 20, 2011

नदी में सेल्फ प्योरिफिकेशन सिस्टम होता है..............






राजधानी में धडल्ले से चल रहा है यमुना से रेत की चोरी का काला कारोबार ----यहाँ रोज यमुना से सैकड़ों ट्रैक्टर हजारों टन रेत की सरेआम चोरी कर न सिर्फ यमुना को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि राजस्व की भी चोरी कर सरकार को भी चुना लगा रहें हैं ---ऐसा नहीं है की प्रशासन को सरेआम होनेवाली इस चोरी का पता नहीं है ----मगर दर्जनों शिकायतों के बाद भी प्रशासन इस ओर से आँखे मूंदे बैठा है ये गोरखधंधा लगातार फल फुल रहा है ---
वी ओ 1 ये नजारा है यमुना के किनारे का ----यहाँ रोज धडल्ले से इसी तरह से सैकड़ों ट्रैक्टर अवैध रूप से रेत का खनन कर यमुना का सीना छलनी कर रहे हैं --- क्या दिन, क्या रात --यहाँ चौबीसों घंटे रेत चोरी करने वाले ट्रैक्टरों का इसी तरह से जमघट लगा रहता है ----इतना ही नहीं ये ट्रैक्टर यहाँ से रेत निकाल कर सरेआम प्रशासन के आँखों के सामने आस पास के इलाकों में रेत पहुंचाते हैं ---यमुना के आस पास के गावों में लगभग हर घर में इस रेत के ढेर(स्टोक )देखे जा सकते है ----- रेत का ये काला कारोबार केवल ..... इलाके में ही हो रहा है ऐसा नहीं है ---- यहाँ तो पुरे कुऐं में ही भंग घुटी पड़ी है ----राजधानी में ........ से पहले यमुना के किनारे इन रेत माफियाओं को जहाँ भी जगह मिलता है वहीँ से चोरी का काम शुरू हो जाता है ---- आइये अब हम आपको लिए चलते हैं यमुना के उस किनारे पर जो ......... ---यहाँ रेत चोरी का काम और भी सुनियोजित और संगठित रूप से चलता है ----यहाँ से रेत निकलने के लिए बकायदा JCB मशीनों का सहारा लिया जाता है --वो भी एक दो नहीं बल्कि एक साथ कई मशीने यहाँ यमुना का सीना चाक करती हैं ----
शिकायतकर्ता- में कई शिकायतें की लेकिन कभी कोइ करवाई नहीं हुयी... करवाई के नाम पर केवल एक दो ट्रेक्टर पकड़ लेते है और फिर छोड़ देतें है...कभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया...)
इन रेत माफियाओं के लिए तो ये महज पैसा बनाने का जरिया है... पैसे की अंधी दोड़ इन्हें नहीं मालूम की ये क्या कर रहे है...लेकिन जेबीसी के साथ लगे इन लोगों को अच्छी तरह मालूम है की अवैध है...लेकिन फिर भी इन्हें किसी का कोइ डर नहीं...जाहिर है पुलिस प्रशासन से इनकी मिलीभगत है...वरना इस पर भला कोण विश्वाश कर सकता है की इतनी बड़े पैमने पर रेत का अवैध खनन हो रहा हो और पुलिस प्रशासन को इसकी खबर ही न हो....लिहाज़ा पूरी सुनियोजित तरीके से काम कर रहे माफिया को छोड़कर ये छोटे मोती मामले ही दिखावे के तौर पर दर्ज का लेती है...लेकिन इस पर कितने बड़े ... कड़े कानून है इसकी जानकारी तक पुलिस प्रशासन को भी शायद ही हो...अवैध खनन को लेकर बने कानून के अलावा यह पर्यावरण अधिनियमों की परिधि में भी आता है...अब दिल्ली सरकार भी मानती है की इस पर गंभीर कदम उठाने की जरूरत है...
बाईट---- हरी शंकर गुप्ता ( चैयरमेन , पर्यावरण समिति, दिल्ली सरकार - कुछ रेत निकालने के लिए तो बाकायदा टेंडर होतें है..लेकिन आज जगह जगह अवैध खनना हो रहा है..राजस्व का खी नुक्सान नहीं हो रहा बल्कि यमुना की शक्ल बिगड़ती है...दिल्ली से बहार के लोग भी इल्लीगल माईनिंग कर रहे है..अबुत लोग पकडे भी गए है...अब कोइ पुख्ता योजना बनाने की जरूरत है...)
............-प्रशासन कार्यवाही के नाम पर कभी तो एक या दो ट्रैक्टरों को तो हिरासत में ले लेता है मगर आज तक इन शिकायतों पर किसी की गिरफ़्तारी तक नहीं हुई है जो प्रशासन के नियत पर ही सवालिया निशान लगा रहा है ----सवाल केवल यह नहीं है की यह सब प्रशासन की स्वीक्रति से चल रहा है या सांझेदारी से...बड़ा सवाल यह भी है की देश की राजधानी दिल्ली में ही पर्यावरण की धज्जियाँ उड़ रही हो तो देश के बाकि हिस्सों में इसे कितनी गंभीरता से लिया जाता होगा...
अनिल अत्तरी दिल्ली .....................
Pkg-2
दिल्ली में यमुना से रेत की चोरी केवल अवैध खनन कर राजस्व के नुक्सान का ही मामला नहीं है बल्कि यह दिल्ली के लिए भी गंभीर खतरा है......यदि पर अभी भी ध्यान नहीं दिया गया तो यमुना के स्वरूप को ही खतरा नहीं हो गया बल्कि यमुना का क्रोध भी झेलना पद सकता है...तो भूजल स्तर कम होने पर पानी का संकट भी दिल्ली में और बढ़ सकता है...
........ यमुना का सीना छलनी कर रेत माफिया केवल सरकार को राजस्व का ही नुक्सान नहीं पंहुचा रहे बल्कि यमुना को भी कुरूप बना रहे है...उसकी शक्ल बिगाड़ रहे है...और उसकी सेहत को भी बिगाड़ रहे है...पर्यावरण विशेग्यों यमुना में मैकेनिज्म तरीके से हो रही माईनिंग के घट्न परिणाम दिल्ली को भी भुगतने पड़ सकते है...इस बार दिल्ली में यमुना में बाढ़ का खतरा रहा निचले इलाकों में पानी भरा वह और ज्यादा बढ़ सकता है...किसी भी नदी का रेत पानी आंतरिक बहाव को बनाये रखता है...पानी नहीं रहने पर भी नदी रेत की वजह से निचे से कभी नहीं सूखती...यह जल ही भूजल के स्तर को बढ़ता है...दिल्ली की प्यास का सबसे बड़ा हिस्सा यही भूमिगत पानी बुझाता है...दिल्ली में साल दर साल बढ़ रहा जलसंकट और गहरा सकता है..

बाईट--- फैयाज खुदसर इन्वायरमेंटल बयोलोगिस्ट -दिल्ली जैसे शहर के लिए तो भूजल ही पानी का सबसे बड़ा स्रोत है..इसी पानी पर दिल्ली जी रही है...इससे भूजल संकट पैदा हो सकत है...)
................. बाढ़ के समय तो हालत और भी खराब हो सकते है...यमुना के किनारे बढ़ रहे है..वह फ़ैल रही है....बाढ़ के समय यमुना कभी भी अपना रुख बदल सकती है और तबाही ला सकती है....आस पास के इलाकों में भारी जल भराव हो सकत है...नदी पर बने पुल और बैराज के लिए गंभीर खतरा हो सकता है...

बाईट----मनोज मिश्रा---- सयोजक यमुनाजीए अभियान --नदी पर बने पुल और बैराज गिर सकते है...बाढ़ के समय नदी अपनी धारा बदल सकती है....)
................. इन रेत माफियाओं के लिए तो ये महज पैसा बनाने का जरिया है मगर शायद ये नहीं जानते हैं कि जाने अनजाने में किया जा रहा यह काला कारोबार कर ये अपने लिए कब्र भी खोद रहे हैं...यमुना अपने पर हो रहे चौतरफे हमले के जाब भी चारों और से दे सकती है...विशेषज्ञों ने जो खतरे बताये है उन्हें सुनकर ही रूह काँप उठती है..लेकिन उस सरकार को क्या कहें जो इस पर सफाई के नाम पर तो करोडो खर्च कर चुकी है लेकिन इसकी सुरक्षा ने नाम पर आँखे मूंदे बैठी है...
अनिल अत्तरी दिल्ली ...............
Pkg-3

यमुना में रेत के अवैध खनन से यमुना को ही नुक्सान नहीं हो रहा बल्कि दिल्ली को भी खतरा है तो पर्यावरण के लिए भी यह गंभीर खतरा है...रेत किसी भी नदी की जान होता है...जिसके साथ और जिसके निचे नदी को जीवन देने वाले तत्व और जीव पलते और पनपते है...किसी भी नदी में यदि रेत का ज्यादा खनन होता है तो यह ईको सिस्टम के लिए भी गंभीर खतरा है...लेकिन पर्यावरण को लेकर कड़े कानून बनाकर गंभीर दिखने वाली सरकार यहाँ लापरवाह नजर आ रही है...
................ इस रेत के निचे नदी का दिल धड़कता है...नदी में पानी न भी हो तो इस रेत के वजह से नदी का आंतरिक बहाव बना रहता है...नदी के निचे नमी बनी रहती है जिसमें रेत के साथ और रेत के निचे रहने वाले तत्व और जीव पलते और पनपते है...यही तत्व और जीव नदी की शुद्धता बनाये रखते है....लेकिन इस तरह के खनन से नदी के सेल्फ प्योरिफिकेशन सिस्टम पर असर पड़ता है...

बाईट----मनोज मिश्रा---- सयोजक यमुनाजीए अभियान----नदी में पानी न भी हो तो इस रेत के वजह से नदी का आंतरिक बहाव बना रहता है...नदी के निचे नमी बनी रहती है जिसमें रेत के साथ और रेत के निचे रहने वाले तत्व और जीव पलते और पनपते है... नदी में सेल्फ प्योरिफिकेशन सिस्टम होता है...जो नदी को शुद्ध करता है...बालू न रहने पर ये यह सिस्टम ख़त्म हो जाता है...क्योकि वे जीव ख़त्म हो जाते है जो इस सिस्टम का हिस्सा होते है...)

नदी के साथ बहकर आ रही रेत अपने साथ कई जीव जंतुओं और पेड़ पोधों को भी साथ लाती है तो कई बीज भी इसी बहाव में बहाकर आते है....लेकिन रेत के इस खनन से प्रकर्ति को भी भारी नुक्सान हो रहा है...उसके सिस्टम पर ही संकट आ रहा है...

.............. लेकिन लगता है किसी को इसकी परवाह नहीं है...यमुना किनारे जिसे भी कोइ कम नहीं वह इस काम में लग जाता है...ये लोट तो पैसा बना रहे है लेकिन इसकी कीमत इनके साथ साथ पूरी दिल्ली को चुकानी पड़ सकती है...पर्यावरण को चुकानी पड़ सकती है...जो शायद सबसे ज्यादा गंभीर मामला है...देश और दुनिया में पर्यावरण पर कड़े कानूनों के देख यह तो समझा जा सकता है की यह सरकार इस पर कितनी गंभीर देखती है...लेकिन यह सब देख देश और दिल्ली की सरकार उतनी ही लापरवाह भी दिखाई देती है...
अनिल अत्तरी दिल्ली ......................

Pkg-4
.रेत का इतना बड़ा काला कारोबार...यमुना और दिल्ली के साथ साथ पर्यावरण के लिए इतना बड़ा खतरा...लेकिन सरकार इस क्यों मूंदे बैठी है...अविध खनन के साथ साथ पर्यावरण अधिनियम के तहत भी कड़ी करवाई का प्रावधान है..लेकिन बावजूद इसके यमुना की सफाई पर कई हज़ार करोड़ रुपये खर्च कर यमुना की सफाई की चिंता में लगी सरकार इसकी सुरक्षा पर इतनी लापरवाह क्यों है..? इसका जबाब यह भी हो सकता है...
......... यमुना की सफाई पर कई हज़ार करोड़ खर्च...लेकिन सुरक्षा सिफर....इतनी बड़े पैमाने पर रेत के ट्रक दिन रात रेत निकाल कर ले जा रहे है की उसका अनुमान लगाना भी मुश्किल...इतना बड़ा नुक्सान की अनुमान लगाना भी मुश्किल... और अनुमान लगाना यह भी मुश्किल है की इतनी बड़ी लापरवाही पर आखिर सरकार और पर्यावरण पर चिंता करने वाले आँखे क्यों मूंदे बैठे है...जानकार इस सवाल का जबाब भी सीधा मानतें है...और सरकार की नियत और काबिलियत पर भी सवाल दाग रहे है....

................................... में तो यह काम बड़ी सुनियोजित तरीके से चल रहा है... ,.......<<<<>>>>> यमुना के किनारे बसे कई गांवो की एक बहुत बड़ी आबादी इस पर टिकी है...जो इस कारोबार को अनजाने में कर रहे है वे इसे अवैध नहीं मानते...लेकिज पुरे मकेनिज्म तरीके से काम करने वाले जानते है की वे क्या कर रहे है..लिहाज़ा पुलिस प्रशासन से जहाँ ये सांठ गाँठ रखते है वहीँ राजनीति से जुड़े लोगों में भी इनका खासा रसूख है...इन इलाकों से उन्हें नोट और वोट दोनों मिलते है..लिहाज़ इस पर कोइ करवाई करना तो दूर इस पर बात करना भी इन्हें पसंद नहीं...यही कारन है की सरकार के लिए भी यह कोइ मुद्दा नहीं है...यही कारन है की यमुना की सफाई पर ढेरों योजना बनाने वाली सरकार के पास यमुना की सुरक्षा पर कोइ ठोस योजना कभी नहीं बनी....पर्यावरण प्रेमी सरकार की इस बेरुखी से नाराज भी दिखते है...

....... अब पानी सर से ऊपर हो रहा है...लिहाज़ा अब भी वक्त है सरकार को चेत जान चाहिए..जिम्मदारी और जबाबदेही की जंग को किनारे कर जब्जे के साथ सख्त कदम उठाने चाहिए ..वरना कहीं ऐसा न हो रेत का यह काला कारोबार इतना बड़ा संकट बन जाये की उसका समाधान और भरपाई करना मुश्किल हो जाये..

अनिल अत्तरी दिल्ली ....................

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