Friday, December 3, 2010
कुएं से बहार आते ही बेजुबान जानवर के शारीर में नयी जान आ गयी...
कुएं से बहार आते ही बेजुबान जानवर के शारीर में नयी जान आ गयी...
डीडीए पार्क में खुले गहरे कुए में एक कुत्ता क्या गिरा लोगों के लिए कोतुहल बन गया..और उसे बचने की मुहीम छिड़ गयी...कुएं में रस्सी के साथ टोकरी लटकी...बात नहीं बनी तो चारपाई डाली गयी और डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद बड़ी मुश्किल से कुत्ते को बहार निकल जा सका....यह तो एक जानवर था लेकिन यदि कोइ इंसान या बच्चा इस खुले कुएं में गिर जाता तो हादसा बढ़ भी हो सकता था...
शालीमार बैग ठाणे के ठीक पास डीडीए में इस कुएं में यह कुत्ता काफी देर से छटपटा रहा था....ठण्ड में ठिठुर रहा था...कुवें के ठन्डे पानी में तैरते तरते इसकी शक्ति भी जबाब दे ही चुकी थी...फायर विभाग के कर्मियों की कुछ देर तक तो यही नहीं सूझा की इसे बहार कैसे निकला जाए...पहले एक टोकरी रस्सी के सहारे लटकाई गए..उस पर ईंटे रखे गयी ताकि वह पानी में डूब जाये ओत उसे कुत्ते के निचे फसकर उसे निकाल लिया जाये..लेकिन घबराया यह बेजुबान जानवर उस पर बैठ नहीं रहा था...फिर एक चारपाई का इंतजाम किया गया..उसके चरों पायों को रस्सी से बंधा गया..आखिर उस पर यह बैठ गया और उसे डेढ़ घंटे की मशकत के बाद निकाल लिया गया...
कुएं से बहार आते ही बेजुबान जानवर के शारीर में नयी जान आ गयी...लेकिन इस कुएं में यदि कोइ बच्चा गिर जाता तो हादसा बड़ा भी हो सकता था...इस पार्क में लोग सुबह सैर के लिए के लिए आतें है ..स्थानीय लोगों का कहना है की शालीमार बाग में मुग़ल काल से बना यह कुआं कब से लोगों के लिए खतरे का सबब बना हुआ है जिसे जाल से ढकने की कभी कोशिस नहीं की गयी...
एक रेस्क्यू ओपरेशन में फायर को करीब डेढ़ घंटा लगा..जो फायर प्रशासन की समझ और सवेंदन शीलता की पोल खो रहा था तो डीडीए पार्क में यह खुला मोट का कुआं डीडीए की लापरवाही को उजागर कर रहा है..बहार है डीडीए इस घटना से सीख ले वर्ना इस कुएं में किसी इंसान की जान भी जा सकती है..
Anil Attri...............
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चलिए जान बची बिचारे की
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