Saturday, November 13, 2010

दिल्ली में पुलिस कमिशनर तो बदले ... कई अधिकारी बदले ..पर दिल्ली के हालात नही बदले ...




दिल्ली में पुलिस कमिशनर तो बदले ... कई अधिकारी बदले ..पर दिल्ली के हालात नही बदले ...क्राइम उसी तरह हो रहा हैं ..लोगों कि मेहनत कि कमाई व उनकी जान रात तो दूर दिन को भी सेफ नही हैं ..लोगों कि मेहनत कि कमाई भरे बाजारों में लूट ली जाती हैं अपराधी आराम से फरार हो जाते हैं पुलिस कुछ नही कर पाती ... आज दोपहर उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के आजादपुर मंडी के मेन गेट के पास एक व्यवसायी से करीब पांच लाख लूटेरों ने लूट लिए ..अब कि बार लूट का एक नया तरीका है या यह कोई नया गैंग..पुलिस ट्रांसपोर्टर की कहानी सुन हैरत में है...ट्रांसपोर्टर राधेशाम के अनुसार वे ओर उसका भतीजा अपने घर सरस्वती विहार से आज़ाद पुर मंडी पर अपनी जैन car में किसी का इन्तजार कर रहे थे कि एक व्यक्ति ने कहा कि उनके इंजन से तेल निकल रहा है..यह देख बुजुर्ग राधेशाम ओर उनका भतीजा चेक करने लगे ओर थोड़े ही देर में देखा ओर उनकी चार से पोलीथिन में रखे चार लाख 90 हज़ार रुपये गायब थे..
बाईट---राधेशाम गर्ग ( पीड़ित )
( हम सरस्वती विहार अपने घर से आ रहे थे ओर अपने दोस्त का यहाँ इन्तजार कर रहे थे कि एक लड़का आया ओर कहाँ अंकल जी आपके गाड़ी से तेल निकल रहा है...हमने ज्यादा ध्यान नहीं दिया तो कुछ देर बाद एक ओर लड़का आया ओर उसने भी कहा आपके इंजन से तेल निकल रहा है..हम उसे देखने लगे ओर कुछ देर बाद देखा तो गाड़ी के आगे रखे रुपये गायब थे..)
वी-ओ-१ इस जैन गाड़ी में राधेशाम उनका भतीजा सवार था..लेकीन फिर भी दो लोग उन्हें चकमा देकर गाड़ी में आगे बोनट पर रखा रूपया लेकर फरार हो गये...राधेशाम के अनुसार उन दो लोगों ने बड़ी सफाई से तेल गाड़ी के बोनट पर डाला ओर उनका ध्यान भटका दिया...जितना हैरान करने वाला इन लूटेरों का तरीका है उतनी ही हैरानी कि बात यह है कि उन्हें इस बात कि जानकारी कैसे मिले कि मंडी के गेट पर किसी का इन्तजार कर रहे राधेशाम कि कार में ट्रक कि किस्त के लिए 4 लाख 90 हज़ार रुपये रखे है...बहरहाल आदर्श नगर थाना पुलिस जाँच में जुटी है लेकीन इस घटना ने यह तो साफ़ कर ही दिया है कि कॉमन वेल्थ खेलों के बाद दिल्ली पुलिस में हुए बड़े पैमानों पर अधिकारीयों के बदले जाने के बाद भी हालत नहीं बदलें है...अपराधी वारदात को अंजाम देकर फरार हो रहे है ओर पुलिस जांच का झुनझुना भी बजाती रह जाती है...
अनील अत्री

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