Wednesday, October 20, 2010

मनचलों के छेड़ छाड़ से परेशान दो लड़कियों को अपनी पढाई ही छोडनी पड़ गयी



पुलिस की बढती लापरवाही की वजह से दो लड़कियों को छोडनी पड़ी पढाई ----मामला उत्तरी दिल्ली के बुरारी थाने का है जहाँ कुछ मनचलों के छेड़ छाड़ से परेशान दो लड़कियों को अपनी पढाई ही छोडनी पड़ गयी ---कोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस ने मामला तो दर्ज किया मगर कार्यवाही कुछ भी नहीं की ---जिसका नतीजा ये निकला की पिछले पंद्रह दिनों से इनमे से एक नाबालिक लड़की लापता हो गयी है ---मगर पुलिस अब भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है ----

वी ओ १ पथराई आँखों से अपनी बेटी की तस्वीर निहारती ये वो बदनसीब माँ सरिता है --जिसका सुख तो खुद खुदा ने उसके सुहाग के तौर पर १५ साल पहले छीन लिया था ----खुदा की खुदाई को नियति मान कर जिन्दगी की जद्दोजहद में दुबारा कूदने के अलावा सरिता के पास कोई और चारा नहीं बचा था क्योंकि तब तक सरिता के पास दो बेटियों की जिम्मेदारी भी आ चुकी थी ---सरिता ने खुद मेहनत मजदूरी करते हुए अपने दोनों बेटियों को पढाया---- अपनी सारी जिम्मेवारियों को निभाते हुए उसने कभी भी बेटियों को पिता की कमी महसूस नहीं होने दी---मगर सड़क पर चलने वाले मनचलों की छेड़खानी इन्हें इस बात को कभी भूलने देती की उनके सर पर बाप का साया नहीं है ---सरिता के पड़ोस में रहने वाले कुछ लड़के सरिता की बेटियों को आते जाते छेड़ते रहते थे ---जिसकी सुचना पुलिस को भी कई बार दी गयी मगर पुलिस ने सरिता के शिकायतों पर कभी ध्यान नहीं दिया ----मनचलों के बढ़ते हरकतों ने सरिता के हौसलों पर विराम लगा दिया --और सरिता ने अपने दोनों बेटियों की पढाई उनके सुरक्षा के लिहाज से छुडवा दी ----सरिता ने अपनी बेटियों के सुरक्षा की गुहार जब अदालत से की तो अदालत के निर्देश पर पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा ---मगर पुलिस ने एक बार फिर अपने पुराने ढर्रे पर लौटे हुए केवल मामला दर्ज कर छोड़ दिया ---मामला दर्ज होने से बौखलाए लड़कों ने फिर तो सरिता पर धमकियों की बारिश ही शुरू कर दी ----
बाईट मदन लाल गुप्ता ( सरिता का भाई ) टेक्स्ट - पडोश के तीन लडके तंग कर रहे थे .पुलिस को शिकायत की कुछ नही हुआ ..आखिरकार कोर्ट में गुहार लगाई ..जब अदालत से की तो अदालत के निर्देश पर पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा ---मामला दर्ज होने से बौखलाए लड़कों ने फिर तो सरिता पर धमकियों की बारिश ही शुरू कर दी
वीओ २ अब सरिता की छोटी बेटी अम्बिका इसी महीने की पांच तारीख से लापता है ---सरिता ने इसकी भी गुहार हर जगह लगाई---मगर नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात---पुलिस ने अम्बिका को ढूंढने में इतनी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई की सरिता द्वारा छपवाए गए पोस्टर को भी कहीं चिपकवाते---ये काम भी सरिता को खुद ही करना पड़ रहा है----वो सुबह से दोपहर तक नौकरी करती है और उसके बाद अपनी बेटी को ढूंढने निकल पड़ती है----
बाईट सरिता ( पीड़ित माँ ) टेक्स्ट - में दोपहर तक काम करती हूँ उसके बाद अपनी बच्ची की तलास में निकल पडती हूँ ..पुलिस उन लडकों से पूछताछ भी नही कर रही ............
वी ओ ३ राजधानी में एक विधवा माँ अपनी लापता बेटी को ढूंढने के लिए पिछले पंद्रह दिन से दर ब दर की ठोकरें खा रही है ---मगर ये निर्लज्ज पुलिस है जो अब भी अपने वर्दी की सफाई पर इतरा रही है---
Anil Attri.......

2 comments:

  1. हमने आपके पोस्ट को पढ़कर दिल्ली पुलिस आयुक्त समेत देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री तथा कुछ अन्य लोगों को इंसानियत के नाते इस विधवा मां की मदद के लिए आग्रह किया है ..देखिये क्या मदद पहुँचती है इस विधवा मां को ...? बहुत ही शर्मनाक स्थिति है देश की राजधानी दिल्ली के कानून व्यवस्था की ...मैं कुछ अन्य माध्यमों से भी इस मां की मदद का प्रयास कर रहा हूँ ...आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..आपके ब्लोगिंग और पत्रकारिता को नमन असल में इसी का नाम ब्लोगिंग है..बांकी तो सब बकवास है ...

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  2. Bahut Hi Dardnak Hai ye manjar aur tab aur bhi dardnak jab YE Dilli pulish kuch nahi kar paa rahi hai.

    Main HONESTY PROJECT DEMORACY KE KAM KI TARIF KARTA HUN.

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