Thursday, October 21, 2010

ऐसा भी होता था बिहारी जी

पत्रा ही तिथी पाइये, वा घर के चहुँ पास
नित प्रति पून्यौ ही रहे, आनन-ओप उजास॥

पंचांग में तिथि देखने की जरूरत नही क्योकि नायिका के मुख का इतना तेज हैं की वहां हमेशा पूर्णिमा रहती हैं ...

ऐसा भी होता था बिहारी जी

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