Tuesday, August 24, 2010

इनके पशु भी पानी में फंसे हैं ...






- दिल्ली में यमुना लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं .. बाहरी व उत्तरी दिल्ली की बात करें तो यहा बुराड़ी , जगतपुर , इब्राहिमपुर , हिरनकी , पल्ला व झंगोला गाँव के खेतो में पानी भर गया हैं ....यहा खेतों व गांवों के बिच आठ फीट का बाँध हैं जिसकी वजह से गाँव तो अभी तक सुरक्षित हैं पर इनकी फसल जरूर बर्बाद हो गई इनके पशु भी पानी में फंसे हैं ...यहा खेतों में रहने वाले मजदूरों ने जेसे तेसे अपने बच्चे तो बचा लिए लेकिन इनका सामान अभी भी बाड में फंसा हैं ..ऊपर से बारिस का मोसम इनके पास न तम्बू हैं ...न ही अब खाने पिने का सामान अब ये अपने बच्चों को लेकर सडक पर दिन रात गुजार रहे हैं ..और प्रशाशन की सारी पोल यहाँ खुल जाती हैं .क्योकि यहाँ सरकारी न नाव आई न तम्बू .. .. सरकारी पम्प हाउस में घुसे तो उनमें से जल बोर्ड ने निकाल दिये क्योकि वहाँ करंट लगने का खतरा था और इस तरह के दर्जनों पं हाउसों में ये ल्लोग अलग अलग जगह रुके थे ..अब ये लोग म्छ्वारों की नाव किराए पर लाये हैं इनके पास इतने पेशे भी नही हैं ... फिर भी इनको एक राउंड के पचास रूपये देने पड़े हैं ....और इन दो सो लोगों का सामान लाने के लिए नाव को कई राउंड लगाने पड़ेगे ....गाँव के कुछ लोग जरूर यहा नास्ता लेकर पहुचे पर प्रशाशन से कोई नही ...........
वि ओ -१ ये परिवार हैं यहाँ खेतों में काम करने वाले मजदूरों के इनके पास अब रोजी रोटी कुछ्ह भी नही .. ये सब्जी बेचार गुजारा कर रहे थे पर इनकी सब्जी पानी में बर्बाद हो गई ...रोजी गई तो जान बचाकर बाहर भागे पर बाहर आशियाना नही सडक पर बेठे हैं ...जगह हैं बुराड़ी का पुश्ता ...यहाँ ये बार आये तो बचा सामान बार केसे लाते क्योक्मी पानी डुबो देने वाला हैं ...आखिर ये लोग म्छ्वारों की नाव लाये जो एक राउंड के पचास रूपये लेते हैं ..ऊपर से ये लोग अपने प्रदेश जाना चाहते हैं पर किराया नही ..सरकार कहती हैं की तम्बू लगा दिए ...खाना पहुचा दिया पर यहा कुछ भी नजर नही आया अब ये सरकार से मदद मांग रहे हैं की इनकों किसानों से छुट्टी दिलाई जाए ..और इनके घर पहुचाया दिया जाए .. किसान लोग इन्हें अब ऐसे में भी छुट्टी नही दे रहे हैं ..

बाईट - अंगद सिंह ( बाड पीड़ित ) किसान छुट्टी नही दे रहे ,..हमारे पास पेशे भी नही ..नाव किराए पर हैं ..न बच्चों का कपड़ा लता हैं ..न किराया हैं ..हमें बस ट्रेन का किराया चाहिए ..यहाँ तो हम तेतीस नंबर बुराड़ी पर हैं ..

बाईट - नरसिंह बिन ...( बाड पीड़ित मजदूर ) टेक्स्ट - हर चक्क्क्र का पेशा दे रहे हैं ..पांच सो रूपये लगा गये ..कोई सहायता नही ..कल आये पुलिस वाले सिर्फ ब्यान लेकर चले गये ..

वि ०ओ २ यहाँ के निवासी किसानों को तो इनके बच्चों पर रहम नही आया वो आधी फसल मांग रहे हैं ..अब फसल नस्ट हो गई तो ये कहाँ से दे..पर गाँव के कुछ लोगों को इन पर दया भी आई और इनको नास्ता भी कराया ...पर गाँव के लोग गुस्से में हैं की सरकार ने सिर्फ आई एस बी टी पर ही इंतजाम किये हैं ..यहा दूर के गांवों तक कोई नही आया ..सरकार को यहाँ भी आकर देखना चाहिए ...यहाँ ये लोग सरकारी पम्प हाउस में रुके तो यहा अधिकारी आये और इन्हें बार निकले की खी अब इनकों एक घंटे हैं ये पम्प हाउस भी खाली करना हैं ..अधिकारियों का कहना हैं की पम्प हाउस में काफी तारे हैं ..करंट लग गया तो हामारी नोकरी चली गाएगी इसी कारण दर्जनों पम्प हाउस जो यमुना किनारे खाली थे और इनमें ये मजदूर आ गये थे सभी को अब खाली करा लिया गया हैं अब यदि बारिस आई तो इनके बच्चे बैस में ही भिगेगे ...

बाईट - वीरेंदर ( स्थानीय निवासी ) ये सर्कार का दिखवा सिर्फ बस अड्डे तक हैं ...यहाँ कुछ नही ...किराए पर नाव ली हैं सो सो रूपये दे रहे हैं ..इनके टेंट की व्यवस्था की जाए.. पम्प हाउस में रुके थे यहाँ अधिकारी आये इनको बाहर निकाल गये

वि ओ ३ इस तरह यहाँ सरकारी दावों की पोल खुल रही हैं ...इतना बड़ा कोम्न्वेल्थ कराने वाली सरकार भगते बच्चों और ओरतों को तम्बू भी नही दे पा रही हैं ...


अनिल अत्तरी दिल्ली ........

1 comment:

  1. दिल्ली की सरकार कोमनवेल्थ के नाम पर दिल्ली को लूटकर बर्बाद कर चुकी है ,अब उन लूटेरों को ये बाढ़ भी लूट का एक जरिया ही नजर आता है ऐसे में तम्बू और गरीबों के बच्चों की रक्षा की इस भ्रष्ट मुख्यमंत्री और उसके सहयोगियों से आशा करना दिन में सपने देखने के सामान है ,शर्मनाक है इस दिल्ली की सरकार और इसकी व्यवस्था ...

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