Friday, May 28, 2010

इन्होने आतंक वाद की त्रासदी आखों से देखि है तभी तो इन्हें आतंकवाद से इतनी घृणा है ....इसी घृणा से ये जल्लाद बनना चाहते है


एंकर - दोनों भाइयों का जुनून आपको भले ही अजीब लगे लेकिन दोनों का यह जनून इस देश में आतंकवाद के प्रति उपजा असंतोष है... इन्होने आतंक वाद की त्रासदी आखों से देखि है तभी तो इन्हें आतंकवाद से इतनी घृणा है ....इसी घृणा से ये जल्लाद बनना चाहते है ...और पापियों को अपने हाथो से फांसी देना चाहते है ..... वी ओ वन ... दोनों भाइयों का जुनून आपको भले ही अजीब लगे लेकिन दोनों का यह जनून इस देश में आतंकवाद के प्रति उपजा असंतोष है...कई बार जल्लद न होने कि वजह से देश के दुश्मनों कि फंसी टल गयी...दोनों ने आतंकवाद के भयानक दर्शय को अपनी आँखों से देखा है और इसके शिकार लोगों के दर्द को दिल से महसूस किया है..यही दर्द दोनों भईयों को जल्लाद बनाने को उकसा रहा है.... सुरेन्द्र और जितेन्द्र ने उस टाइम लोगों के जान बचाई जब नरेला मैं ट्रेन मैं बम ब्लास्ट हुवा था ..इन्होने भाग भाग फायर व पुलिस की मदद की और लोगों को निकाला ... तब उस वक्त सरकार ने इन दोनों भाइयों को सम्मानित भी किया था ... बाईट - सुरेंदर पहलवान, जल्लाद बनने का इच्छुक ( टी शर्ट मैं ) वि ओ २ इनके कामों से मिलनसार स्वभाव से पूरा गावं इन्हें चाहता है ..पूरे गाँव से बच्चे इनके पास कुश्ती के गुर शिखने आते है ..और इन लोगों की भी दिल्ली इच्छा है की इन दोनों भाइयों की ये मांग पूरी हो .. इन्हें आतंकवादियों को फांसी देने का अवसर जरूर मिलना चाहिए . यहा इनके पास आने से बच्चों में इमानदारी व देशभक्ति के गुण देखने को मिलते है ..बच्चों मई बदलाव परिजनों को साफ नजर आता है ........ बाईट - योगेश खत्री .(. स्थानीय निवासी ) - मेरे दो छोटे भाई सुरेंदर के पास आते है कुश्ती सिखने वे कुश्ती तो सिख रहे है लेकिन उनमे दुसरा दिन रात का बदलाव आया है ..मेरे भाई अब पड़ते भी ज्यादा है .. इमानदार भी और ज्यादा बने ..हमारा कहना भी अब खूब मानते है ...हम चाहते है की इनको ये आतंकवाद को फांसी लगाने का मोका जरूर मिले ........... बाईट - सुनील कुमार ( स्थानीय निवासी ) मै पहलवान को दस साल से जानता हूँ .... वी ओ थ्री - ये पूरा परिवार देशभक्त है ... पिताजी डी टी सी से रिटायर्ड अधिकारी है ...इनको जन्म देने वाली वाली माँ भी एक निडर व सच्ची देशभक्त है ..ये अपने बच्चो को एसा करने से मानना तो दूर बल्कि सहयोग करती है ..माता - पिता ने कभी भी ये ओब्जेक्शन नही किया की वो फ्री मै हर रोज सुबह शाम क्यों कई घंटे बर्बाद करते है ..बल्कि माँ बाप इसमें सहयोग दे रहे है ..खुद माँ की ही सुनिए .... बाईट - ( सुरेदर व जीतेन्दर की माँ ) वी ओ फॉर - सुरेदर व जीतेन्दर ने अभी तक शादी भी नही करवाई है ..बस वो अपना ये सपना पूरा करना चाहते है की वो अपने हाथ से कब आतंकवादियों को फांसी दे .....वास्तव मै सुरेदर व जीतेन्दर का परिवार पूरे देश के लिए एक देशभक्ति के जज्बे की मिशाल है ..ऐसे देशभक्त परिवार को हम नमन करते है ...... अनिल अत्तरी Location - Holambi Kalan एंकर..मां-बाप अपने बच्चों को अच्छी तालिम देकर एक कामयाब इनसान बनते देखना चाहते है...लेकिन सुरेन्द्र और जितेन्द्र नाम के दो भाई जल्लाद बनना चाहतें है...दोनों के सर जल्लाद बनाने का जनून इस कदर हावी है की दोनों भाईसरकार में कई साल पहले अर्जी लगा चुके हैं...एसडीएम, एलजी और राष्ट्रपति तक को चिट्ठी लिख चुके है...लेकिन इनके यह तमन्ना अभी उन्हें पूरी होते देखाई नहीं दे रही है..इनकी यह इच्छा इस देश की व्यवस्था और आतंकवाद के प्रति गुस्सा है...ऐसा गुस्सा की वे खुद को जल्लाद कहलाये जाने जाने पर भी एतराज नहीं... परिवार की इच्छा है कि आतंकी कसाब की गर्दन में फांसी का फंदा वे ही डाले। हेडर...कसाब को फांसी पर लटकाने की चाहत, दो भाइयों की अजीब दास्तां, दोनों बनना चाहता जल्लाद, नौकरी के लिए लगाई अर्जी, वीओ 1.. सुरेन्द्र और जितेन्द्र डॉक्टर, टीचर या फिर इंजीनियर बनना नही चाहते। इनकी चाहत है जल्लाद बनने की। ऐसा नही है कि ये इनका पुश्तैनी पेशा है। इनके पिता डीटीसी से रिटायर हैं, तो खुद ये भी दिल्ली होम गॉर्ड में तैनातहै। फिर भी इनकी दिली तमन्ना है कि दोनों जल्लाद बने। इन दोनों भाईयों के सर जल्लाद बनाने का जनून इस कदर सवार है कि इन्हें इस पर भी एतराज नहीं कि लोग इन्हें जल्लाद कहेंगे...दोनों भाई जल्लाद की नौकरी पाने की सालों से जद्दोजहद में लगे हुए है। इस बारे में एसडीएम, एलजी और राष्ट्रपति तक को चिट्ठी लिख चुके है। बाइट.. जितेन्द्र पहलवान, जल्लाद बनने का इच्छुक ( टोपी पहने हुए ) text - मै तिहाड़ गया वहा बोले यहा तो पोस्ट नही ...मैं तो बहुत घुमा पर अभी तक कुछ नही हुआ .. बेकसूरों को मारा जाता आतंकवादीयों द्वारा मैं ऐसे दुष्टों को फ़ासी तोड़ना चाता हूँ ... वीओ टू... जल्लाद बनने का जुनून सुरेन्द्र और जितेन्द्र को पिछले दस साल से है। लेकिन इसके लिए दोनों ने साल 2003 तीन में प्रक्रिया शुरू की। सुरेन्द्र इस सिलसिले में सोनिया गांधी से भी मिले। उसके बाद चिट्ठियों को दौर शुरू हुआ। हालांकि अभी तक दोनों को जल्लाद की नौकरी नही मिल सकी है। लेकिन कसाब को फांसी की सजा का एलान होते ही इनकी सोई तमन्ना एक बार फिर जाग गई है। दोनों भाइयों की इच्छा है कि उन्हें कसाब को फांसी पर लटकाने काअवसर मिले। सुरेंदर वेसे जलाद बनना चाहता है पर पूरा गाव इन्हें दिल जान से चाहता है क्योकि पूरे गाव के बच्चे इनसे फ्री मै..व्यायाम सीखते हैं ..ये यहा व्यामशाला मै बच्चो को कुश्ती सिखाते है ... बच्चे सुबह शाम इनके पास कुश्ती सीखते है ...सुरेन्दर ने यहा सांकेतिक फांसी का फंदा लटका भी सका है पर उस पर व्यायाम करते है ....बच्चों को सोखाते है ....साइकिल पर यात्रा करते है ( व्यायामशाला के विसुअल है ... फंसी के मोटे रस्से का विसुअल है .. व्यायाम करते हुए विसुअल है ...साइकिल पर चलते हुए विसुअल है .. ...) बाइट . सुरेंदर पहलवान, जल्लाद बनने का इच्छुक ( टी शर्ट मैं ) text - हमने एस डी एम् को लिखा इन्होने हमें तिहाड़ भेजा पर हमें जल्लाद नही बनाया गया .........हने एल जी को लिखा है ...महामहिम रास्ट्रपति से भी लिखित मैं मांग की पर अब तक कोई कारवाई नही हमारी मांग पर ....मै कसाब को फ़ासी अपने हाथ से देना चाता हूँ ............ वीओ 3 आंकडो पर नजर डाले तो पिछले देश में केवल 2 जल्लाद ही है। वहीं महाराष्ट्र में पिछले दस साल के कोई भी जल्लाद नही है। ऐसे में सुरेन्द्र और जितेन्द्र की जल्लाद बनने की चाहत रखते है तो सरकार को इनकी चाहत पूरी कर देनी चाहिए...देश में जल्लाद कि कमी भी है फिर भी कई सालों कि कि जद्दोजहद के बावजूद भी इन्हें जल्लाद कि नोकरी नहीं मिला रही....इसका इन्हें मलाल है...इस मलाल पर मरहम तभी लग सकता है जब आतंकवादियों को जल्द से जल्द फंसी हो..या फिर इन्हें जल्लाद कि नोकरी मिले---. Anil Attri ....

1 comment:

  1. ये भी एक प्रकार का देश भक्ति का ही जज्बा है जिसे सम्मान दिया जाना चाहिए /

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