Tuesday, May 11, 2010

इनकी चाहत है जल्लाद बनने की।

मां-बाप अपने बच्चों को अच्छी तालिम देकर एक कामयाब इनसान बनते देखना चाहते है...लेकिन सुरेन्द्र और जितेन्द्र नाम के दो भाई जल्लाद बनना चाहतें है...दोनों के सर जल्लाद बनाने का जनून इस कदर हावी है की दोनों भाईसरकार में कई साल पहले अर्जी लगा चुके हैं...एसडीएम, एलजी और राष्ट्रपति तक को चिट्ठी लिख चुके है...लेकिन इनके यह तमन्ना अभी उन्हें पूरी होते देखाई नहीं दे रही है..इनकी यह इच्छा इस देश की व्यवस्था और आतंकवाद के प्रति गुस्सा है...ऐसा गुस्सा की वे खुद को जल्लाद कहलाये जाने जाने पर भी एतराज नहीं... परिवार की इच्छा है कि आतंकी कसाब की गर्दन में फांसी का फंदा वे ही डाले।
हेडर...कसाब को फांसी पर लटकाने की चाहत, दो भाइयों की अजीब दास्तां, दोनों बनना चाहता जल्लाद, नौकरी के लिए लगाई अर्जी,
वीओ 1..
सुरेन्द्र और जितेन्द्र डॉक्टर, टीचर या फिर इंजीनियर बनना नही चाहते। इनकी चाहत है जल्लाद बनने की। ऐसा नही है कि ये इनका पुश्तैनी पेशा है। इनके पिता डीटीसी से रिटायर हैं, तो खुद ये भी दिल्ली होम गॉर्ड में तैनातहै। फिर भी इनकी दिली तमन्ना है कि दोनों जल्लाद बने। इन दोनों भाईयों के सर जल्लाद बनाने का जनून इस कदर सवार है कि इन्हें इस पर भी एतराज नहीं कि लोग इन्हें जल्लाद कहेंगे...दोनों भाई जल्लाद की नौकरी पाने की सालों से जद्दोजहद में लगे हुए है। इस बारे में एसडीएम, एलजी और राष्ट्रपति तक को चिट्ठी लिख चुके है।
बाइट.. जितेन्द्र पहलवान, जल्लाद बनने का इच्छुक ( टोपी पहने हुए )
वीओ टू... जल्लाद बनने का जुनून सुरेन्द्र और जितेन्द्र को पिछले दस साल से है। लेकिन इसके लिए दोनों ने साल 2003 तीन में प्रक्रिया शुरू की। सुरेन्द्र इस सिलसिले में सोनिया गांधी से भी मिले। उसके बाद चिट्ठियों को दौर शुरू हुआ। हालांकि अभी तक दोनों को जल्लाद की नौकरी नही मिल सकी है। लेकिन कसाब को फांसी की सजा का एलान होते ही इनकी सोई तमन्ना एक बार फिर जाग गई है। दोनों भाइयों की इच्छा है कि उन्हें कसाब को फांसी पर लटकाने काअवसर मिले। सुरेंदर वेसे जलाद बनना चाहता है पर पूरा गाव इन्हें दिल जान से चाहता है क्योकि पूरे गाव के बच्चे इनसे फ्री मै..व्यायाम सीखते हैं ..ये यहा व्यामशाला मै बच्चो को कुश्ती सिखाते है ... बच्चे सुबह शाम इनके पास कुश्ती सीखते है ...सुरेन्दर ने यहा सांकेतिक फांसी का फंदा लटका भी सका है पर उस पर व्यायाम करते है ....बच्चों को सोखाते है ....साइकिल पर यात्रा करते है ( व्यायामशाला के विसुअल है ... फंसी के मोटे रस्से का विसुअल है .. व्यायाम करते हुए विसुअल है ...साइकिल पर चलते हुए विसुअल है .. यूज करना चाहे तो फीड मै पड़ोसियों की भी बाईट है ...)
बाइट... सुरेंदर पहलवान, जल्लाद बनने का इच्छुक ( टी शर्ट मैं )
वीओ थ्री... दोनों भाइयों का जुनून आपको भले ही अजीब लगे लेकिन दोनों का यह जनून इस देश में आतंकवाद के प्रति उपजा असंतोष है...कई बार जल्लद न होने कि वजह से देश के दुश्मनों कि फंसी टल गयी...दोनों ने आतंकवाद के भयानक दर्शय को अपनी आँखों से देखा है और इसके शिकार लोगों के दर्द को दिल से महसूस किया है..यही दर्द दोनों भईयों को जल्लाद बनाने को उकसा रहा है.... सुरेन्द्र और जितेन्द्र ने उस टाइम लोगों के जान बचाई जब नरेला मैं ट्रेन मैं बम ब्लास्ट हुवा था ..इन्होने भाग भाग फायर व पुलिस की मदद की और लोगों को निकाला .... सुरेन्द्र और जितेन्द्र के परिवार वाले भी उनकी ख्वाहिश पूरी करना चाहते है। परिवार को लगता है कि देश के गुनाहगार को फांसी पर लटकाने से पीड़ित परिवारों को सुकुनमिलेगा। अपने हाथों से कसाब को फांसी को अपना सौभाग्य मानते है।
बाइट... रामपाल सिंह, पिता
वीओ फोर... आंकडो पर नजर डाले तो पिछले देश में केवल 2 जल्लाद ही है। वहीं महाराष्ट्र में पिछले दस साल के कोई भी जल्लाद नही है। ऐसे में सुरेन्द्र और जितेन्द्र की जल्लाद बनने की चाहत रखते है तो सरकार को इनकी चाहत पूरी कर देनी चाहिए...देश में जल्लाद कि कमी भी है फिर भी कई सालों कि कि जद्दोजहद के बावजूद भी इन्हें जल्लाद कि नोकरी नहीं मिला रही....इसका इन्हें मलाल है...इस मलाल पर मरहम तभी लग सकता है जब आतंकवादियों को जल्द से जल्द फंसी हो..या फिर इन्हें जल्लाद कि नोकरी मिले---.
अनिल अत्तरी

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