Tuesday, January 5, 2010

राम की शक्तिपूजा – निराला Ram Ki Shktipooja - Mahamanv Nirala

राम की शक्तिपूजा – निराला Ram Ki Shktipooja - Mahamanv Nirala
राम की शक्तिपूजा का कथानक कृतिवास की बंगला रामायण से लिया गया है। इस कविता में एक ओर यथार्थ से जूझते हुए मानव का अन्तर्द्वन्द्व है, तो दूसरी ओर एक सांस्कृतिक सामाजिक प्रक्रिया है। एक पौराणिक प्रसंग के माघ्यम से यह कविता अपने युग को उजागर करती है।
निराला के सामने यह समस्या थी कि राम रावण का युद्ध वर्णन करना है और उसके समानान्तर राम के भीतर चल रही लड़ाई का वर्णन करना है , भीतर की लड़ाई यह है कि युद्घ लड़ा जाए कि नही , यदि लड़ा जाए तो लड़ने का साधन क्या हो। राम राम का द्वन्द्व राम रावण के द्वन्द्व से महत्वपूर्ण हो गया ।
निराला के राम आधुनिक मानव हैं जो न्याय के पक्षधर होते हुए भी टुटते हैं। संशय करते हैं यहाँ तक कि अपनी नियती को कोसते हैं-
धिक् जीवन जो पाता ही आया विरोध
धिक् साधन जिसे लिए सदा ही किया शोध।
निराला की प्रतिभा में ढ़लकर वाल्मीकि और तुलसी के राम आधुनिक स्वाधीता संग्राम के संवेदनशील माव के रूप में मूर्तिमान हो उठे।
उनकी जानकी मात्र प्रिया नहीं स्वाधीनता की देवी है, जिसकी मुक्ति के लिए वे व्याकुल है।
प्रेरणा के रुप में तुलसीदास सर्वत्र विद्यमान है। यह कविता विलक्षण ढ़ंग से ठेठ हिन्दी कविता है।
ज्योति के पत्र पर लिखा अमर
ज्योति का पत्र व अमर युद्ध की शाश्वतता की ओर इशारा करता है। यह दो प्रवृतियों का यु्द्ध है जो अनवरत चलता ही रहता है। महाकवि निराला की इस कविता की प्रथम पंक्ति से ही गिनती शुरू की जा सकती है कि यहाँ कवि का उद्देश्य परम्परागत कथा कहना नही । ............................
अनिल कुमार अत्री सहारा न्यूज ब्यूरो.......

1 comment:

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