Tuesday, January 5, 2010

महादेवी वर्मा – प्रतीक योजना Mahadevi Verma Pratik Yojna….

महादेवी वर्मा – प्रतीक योजना Mahadevi Verma Pratik Yojna….
छायावाद के चार स्तम्भ माने जाते हैं- प्रसाद , पंत , निराला और महादेवी वर्मा । इनके पद्य साहित्य में प्राय आदि से अन्त तक प्रतीकात्मकता है। इनकी कविताओं में लोक जीवन की अभिव्यक्ति इसी रुप में हुई है। महादेवी वर्मा के समय का सामाजिक जीवन आज की तरह मुक्त नहीं था । उस समय नैतिकता के बन्धनों का बोलबाला था । स्त्री शिक्षा का प्रचार प्रसार नहीं था। घर की चार दीवारी के अन्दर ही नारी की दुनिया सीमित थी। ये भी एक कारण हो सकता है कि महादेवी ने अपने सकल अन्तर्मन के उद्वेलन को प्रतीकात्मक रुप में व्यक्त किया। इसके अलावा हम देखते हैं कि इनका काव्य लोक जीवन की पीड़ा से भरा पड़ा है। यथा-
मैं नीर भरी दुख की बदली
उमड़ी कल थी मिट आज चली
विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना
उमड़ी कल थी मिट आज चली
मैं नीर भरी दुख की बदली ..... सन्धिनी के 60 गीतों में एक
ये विरह में ही जीना चाहती है-
मिलन का मत नाम लो ,
मैं विरह का चिर हुँ।
इन्हें वेदना व करुणा की कवयित्री माना जाता है। इनके काव्य में कदम कदम पर करुणा भरी पड़ी है यथा-
तुमको पीड़ा में ढुढ़ा तुममें ढुढुगी पीड़ा.....
यथा-
मधुर मधुर मेरे दीपक जल ,
युग युग प्रतिक्षण प्रतिपल प्रियतम का पथ आलोकित कर।
महादेवी वर्मा ने प्रतीकात्मकता के माधयम से लोगों की मंगलकामना हेतु देशोद्धार के गीत गाए हैं। महादेवी पर बोद्ध दर्शन का प्रभाव भी लक्ष्य होता है जिसको उन्होंने अपनी कविता में व्यक्त किया है।
इनके दीपक को साधना के प्रतीक के रुप में लिया जा सकता है, या किसी की याद में जलने वाला दीपक भी हो सकता है। इसके साथ ही इलका ये दीपक हमें असतो मा सद्गगमय और तमसो मा ज्योतिर्गमय का संदेश देता है।
इस प्रकार महादेवी ने अपने उदगारों को प्रतीकात्मक रुप में व्यक्त किया है।
अनिल कुमार अत्री सहारा न्यूज ब्यूरो.......

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