Wednesday, January 6, 2010



एंकर--92 साल की बुजुर्ग महिला का यू तो पूरा घर संसार है...तीन बेटे..और तीन बेटियां...नाती पोते और सब के सब अच्छी पोस्ट पर तैनात ही नहीं है बल्कि बड़े कारोबारी भी है...लेकिन उसका सहारा 72 साल वह बेटा है जिसे खुद सहारे की जरूरत है...जिन्हें सहारा देना चाहिए वे धोखा दे रहे है..इन दोनों माँ बेटों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं है..दोनों बीमार है....पता नहीं खाने और दावा के अभाव में कब उनकी मोत हो जाये...लेकिन इस माँ के उन बेटे बेटियों के मन में उनकी प्रति कितना प्यार है यह इससे ही साफ़ हो जाता है की पिछले करीब दो साल से कोइ देखने नहीं आया...

वी-ओ-1

रोहिणी सेक्टर 8 में रह रही 92 साल की इस बुजुर्ग महिला रूप कौर ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा है अपने जिन 6 -6 बच्चों को अपने कलेजे ले लगा कर पाल रही है वे वक्त पड़ने पर उसके करीब भी नहीं आयेगे..उसकी देखभाल वही करेगा जिसे खुद देखभाल की जरूरत है...इसका सहारा है 72 साल का निर्मल सिंह...जो अविवाहित है और खुद भी बीमार है...ठीक से चल भी नहीं पता...ये दोनों एक दुसरे का सहारा बने हुए है...इन्हें याद नहीं की इन्होने पिछले दो सालों में कभी भरपेट खाना भी खाया हो...यू भी रूप कौर इतनी बीमार है की उससे कुछ भी खाया नहीं जाता...आप खुद देखिये..हमने इसे केला और बिस्किट खाने को दिए लेकिन इससे ठीक से खाया नहीं जाता...निर्मल सिंह अपनी माँ को ब्रेड और बिस्किट चाय के साथ किसी तरह खिला देतें है...रूप कौर का दर्द उसकी आवाज में साफ़ महसूस किया जा सकता है...कहने को तो इनके पास लाखों की सम्पत्ति है...करोडपति बेटे बेटियां है..लेकिन फिर भी ये भूखी हालात में अपनी मोत का इन्तजार कर रहे है...निर्मल के मने तो72 साल की उम्र में सरकारी सेवा से रिटायर्ड उनके पिता स्व बलदेव सिंह को मोत भी 2003 में इलाज और खाने के आभाव में हुए थी..जिसके लिए वे खुद शर्मिंदा भी है....

बाईट---1-

निर्मल सिंह ( रूप कौर का बेटा ) टेक्स्ट - .. हमारा लेटे लेटे ये भी भरोसा नही होता की हम सुभ उठ पायेगे की नही .. चक्कर आके गिर गई .. गिर के उट्ठ नही सकी वो .. संसार से दुःख हें हमें ... आज से दो अडाई साल पहले आये थे ..घर पर ताला लगा के जाता हूँ ताकि वे पीछे से माता जी को परेशान ना करें ....वृद्ध आश्रम गये पंचकूला वहा तिन दिन रहकर आया हूँ ..वहा रहन सहन सही नही था हम वहा से आ गये ....में यही सोच रहा हूँ हमारा खाना केसे चले .. हमारा लेटे लेटे ये भी भरोसा नही होता की हम सुभ उठ पायेगे की नही .. उनकी दशा यही हें की ये मरे हम कब्जा करें ....

2- रूप कौर ( बुजुर्ग महिला ) बाईट टेक्स्ट - ओल्ड लेडी ( मर जाए कब्जा हो जाए .... कोई नही देता ... भगवान् ,,,,......( सही नही बोल पा रही हें .....) टाला बंद करती हूँ .आके मार देगें मेरे को .... ताला मार देते हें .... सब मारते हें

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ऐसा नहीं है कि निर्मल सिंह के अलावा रूप कौर के अन्य बेटे और बेटियां उनकी देखभाल करने की स्थिति में नहीं है...निर्मल के अलावा एक बेटा सन 2000 से खोया हुआ है तो एक बेटी मानसिक तनाव में पागल होकर शाहदरा अस्पताल में भर्ती है....वे सब के सब सरकारी नोकोरियों से रिटायर्ड है और उनके बच्चे अच्छे कारोबारी है....फिर भी ये लाचार है..इनके शारीर में इतनी भी ताकत नहीं कि वे घर के साफ़ सफाई एवं खाना बनाने का काम कर सकें...रूप कौर कि आय का साधन पेंशन के कुछ नहीं..वह पेंशन भी अब उन्हें मिल नहीं रही...मजबूर होकर उन्होंने अपना एक फ्लैट किराये के लिए दिया तो किरायेदार ने भी कराया देने के बजाये धोखा ही दिया....भाई बहनों ने भी धोखा दिया...कमरे में बंद रूप कौर जब भूख से चिल्लाती है तो आसपडोस के लोग रूप कौर से सहानुभूति तो रखते है लेकिन उसकी हालत देखर डर भी जाते हैं...लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने उन्हें किसी ओल्ड ऐज होम में दाखिल करना चाह लेकिन इनके लिए वहां भी जगह नहीं है...

बाईट---

1 ओंकारेश्वर ( सामाजिक कार्यकर्त्ता ) टेक्स्ट - एक बानवे ( 92 ) वर्ष की महिला और उनके साथ 72 वर्षीय पुत्र साथ में रह रहे हें .... इनकी हालत इतनी गंभीर हें की खाने पिने के भी लाले पड़े हुए हें ...और उनके बेटी बेटियाँ सम्पन्न हें ... उसके बावजूद केयर नही करते ... इनकी खाने पिने की कमी से कभी भी मर्त्यु हो सकती हें .. गुजर बसर के लिए किराए पर मकान लगाया.. किरायदार किराया नही देता .फिर पुलिस को फोन किया पुलिस ने भी कोई कारवाई नही की इनकी बेबसी व लाचारी ... दोनों वृद्ध एक दुसरे की जिन्दगी बचाने में लगे हें ...समाज से अपील हें की वे ऐसे लोगों के लिए आगे आये ....

2 ..शशि - टेक्स्ट - खाने के लिए चिला रही थी ... अकेली थी .. अकेली हें डर लगता हें ...... चिल्लाती हें ...

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रूप कौर के बेटे और बेटियां इस बात से भी बेखबर है कि उनकी माँ. उनकी दाती..उनकी नानी किस हालात में है...न तो वे कुछ जानना चाहते है और इस बारें में कुछ बोलना चाहते है...उनके दो बेटे विकाश पूरी में रहते है..हमने जब उनसे बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से ही इनकार कर दिया...इन बुजर्गों कि हालत आज के युग में रिश्तों के खोखलेपन के ही पोल नहीं खोल रही बल्कि उन सरकारी प्रयाशो को भी आईना दिखा रही है जी सीनियर सिटिज़न कि सुरक्षा का दंभ भरते है....

ANIL KUMAR DELHI

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