Friday, October 2, 2009

आग जलनी चाहिए

आग जलनी चाहिए- दुष्यन्त कुमार (Dushyant Kumar)
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर रचना ।
    ढेर सारी शुभकामनायें.

    SANJAY

    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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