Monday, February 7, 2011

.देश कि राजधानी नही हैं लोगों के लिए सेफ



दिल्ली के किसी न किसी कोने मैं हो जाती हैं बंदूक कि नोक पर लूट ......देश कि राजधानी नही हैं लोगों के लिए सेफ ....लोगों कि मेहनत कि कमाई तो दूर यहाँ उनकी जान भी सुरक्षित नही हैं ..बाजर , गली .सडक कि बात छोडिये लोग अपने घर मैं भी सेफ नही हैं ...यहाँ भी उनको गोली मार उनकी जान लेकर लुटेरे फरार हो जाते हैं ...रविवार देर शाम पीतमपुरा का ज्वेलर व उसका नोकर बने लूटेरों का शीकार .....दरअसल पीतमपुरा के AP बलोक के रहने वाले .....गर्ग कि घर के पास ही मार्केट मैं बाबा ज्वेलर्स के नाम से ज्वेलरी कि दूकान हैं ..रविवार देर शाम अपनी दूकान कि छुटी कर गहनों व केश का बेग लेकर हर रोज कि तरह जेसे ही अपनी दूकान से नोकर के साथ निकला तो अचानक दो लडके आये और गोलिया चलानी शुरू कर दी ...तीन गोली मालिक को व एक नोकर को लगी ...इसी बीच तीन फायरिंग हवा मैं किये और गोलिया चलती देख कोई भी लूटेरों के नजदीक नही आ सका ...ये गोली मार बेग लूटकर फरार हो गये .....पूरी मार्केट मैं अफरा तफरी मच गई ..सभी ने दूकाने बंद कर दी ...

................ घायल मालिक व नोकर को तुरंत रोहिणी के सरोज अस्पताल मैं भर्ती कराया ...नोकर के पाँव मैं गोली लगी हैं जबकि मालिक के उपरी हिस्से मैं भी दो गोली लगी हैं ..ये कीमती गहने व केश रात को घर ले जाते थे .इनके बेग मैं कितने गहने व कितने रूपये नकद थे ये अभी पता नही चल पाया हैं ...लेकिन नकदी और केश से इतना तो साफ हैं कि लूट लाखों मैं हैं .....अब मोरया इन्क्लेव पुलिस मामले कि जांच कर रही हैं ...

..........................इस घटना से इतना तो साफ हैं कि पहले रेकी कि गई हैं क्योकि लूटेरों को जरूर पता था कि बेग मैं केश व गहने होते हैं ...घर भी पास मैं हैं और लूटेरों ने मार्केट मैं ही निशाना बना डाला ..... पुलिस वही जांच कि बात कर रही हैं और लोगों के जान व माल जा रहे हैं ...इस घटना ने फिर पुलिसिया व्यवस्था कि पोल खोल कर रख दी ...
अनिल अत्री दिल्ली ...................--

1 comment:

  1. भाई साहब दिल्‍ली ही नहीं, पूरे देश में ऐसी कोई जगह आप बता दें जहां इंसान सुरक्षित महसूस कर सकता है। पूरे देश में अराजकता फैली हुई है। बहरहाल अच्‍छे विषय को रेखांकित करती पोस्‍ट पर बधाई।
    आपको अच्‍छी और बेहतरीन रचना के लिए बधाई।
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