Thursday, February 3, 2011

शिक्षा का कोई व्यवसायीकरण नही कर सकता ..











शिक्षा सभी का अधिकार .. शिक्षा का कोई व्यवसायीकरण नही कर सकता ..शिक्षा नो लोस नो प्रोफिट पर ही दी जायेगी ..पर सच्चाई किसी से छिपी नही खुले आम शिक्षा मैं घपले ... एक स्कूल एक फेक्ट्री जितनी आमदनी दे रहा हैं ...स्कूलों ने उद्योगों का रूप ले लिया पर सरकार का कोई ध्यान नही ....ध्यान जाए भी केसे इन नेताओं के अपने स्कूल होते हैं या किसी स्कूल मैं हिस्सेदारी होती हैं ..... पहले मठ व मंदीर स्कूल चलाते थे आजकल स्कूल अपनी कमाई से मठ व मंदिरों को चला रहे हैं ..ये हाल हैं देश की शिक्षा का .... देश की राजधानी दिल्ली मैं स्कूलों की मनमानी .....सरकार लाख कानून बनाए ये बचाव के तरीके निकाल ही लेते हैं ... ऐसा ही एक नायब तरीका तरीका आया रोहिणी सेक्टर २२ के डीपीएस स्कूल से .......

रोहिणी के डीपीएस स्कूल कि दादागिरी..लिस्ट में नाम आने के बाद भी नहीं दिया एडमिशन...कागजो की जांच के बहाने लिया माता पिता का इंटरव्यू... कहा गलती से आ गया नाम...अभिभावक ने कि शिक्षा विभाग से कि शिकायत...स्कूल प्रशासन का सफाई देने से इनकार...

.......दिल्ली के विजय नगर के रहने राहुल अरोड़ा व शेल्ली अरोड़ा दोनों बहुत खुश थे कि उनकी इकलोती बच्ची को रोहिणी के डीपीएस जैसे नामी स्कूल में दाखिला मिल गया...स्कूल कि वेब साईट और स्कूल के बाहर लगी लिस्ट में उनका नाम था...स्कूल ने जिन 36 लोगों को डोकोमेंट्स वरिफिकेशन के लिए बुलाया था उनमें उनका भी नाम था...लेकीन उनकी यह ख़ुशी स्कूल पहुचाते ही काफूर हो गयी जब स्कूल ने उन्हें कहा कि उनका नाम गलती से इस लिस्ट में आ गया है...उन्हें Alumni के 10 अंक गलती से दे दिए है...
........राहुल अरोड़ा ने ऑन लाइन फॉर्म भरा...जिसकी कॉपी भी उसके पास है...और जिस लिस्ट में उनका नाम आया वह भी है...इनका डोकोमेंट्स चेक के बहने इंटरव्यू भी लिया...और तुरंत कह दिया कि आपका नाम गलती से आ गया है...राहुल और शेली अरोड़ा का दावा है कि कहीं किसी स्तर पर उनसे गलती नहीं हुयी...स्कूल यह सीट खाली रखना चाहता है ताकि मैनेजमेंट कोटे से उसे किसी और को दे सके...स्कूल प्रशासन न अपनी गलती मानाने को तैयार है और न ही राहुल अरोड़ा का फॉर्म उन्हें दिखने को तैयार है...और न ही इस मामले पर मीडिया से ही बात करने को तैयार है...गार्ड स्कूल के नजदीक भी मीडिया को खड़ा होने नहीं दे रहें है..
.......अब इन माता पिता दलील स्कूल सुनाने को बिलकुल तैयार नहीं है...लिहाज़ा अब इन्होने शिक्षा विभाग का दरवाजा खटखटाया है...इस मामले ने डीपीएस कि दादागिरी ही नहीं दिखाती बल्कि यह सवाल भी उठता है कि कहीं स्कूल ने मैनेजमेंट कोटे कि सीटें बढाने को यह कोई नया फार्मूला तो नहीं निकाल लिया...
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