Tuesday, January 4, 2011
माँ तेरी ममता और महानता के किस्से तो दुनिया भर में मशहूर है...फिर तू मुझे यह किस कसूर की सजा दे रही है.?...
उस नव जात बच्चे के स्वास्थ्य के लिए डॉक्टरों ने माँ बाप को सलाह क्या दी वह मासूम बच्चा माता पिता के लिए बोझ बन गया और अस्तपाल एक लिए आफत...अब यह मासूम पिछले 6 महिने से माँ की ममता और पिता के प्यार के लिए तरस रहा है तो अस्पताल की दिक्कत है की इसे किसे और कैसे सोपें..चीकू की तरह प्यारे चीकू नाम के इस बच्चे को इसके माता पिता जन्म के दो महीने बाद अस्पताल में ही छोड़कर चलते बनें..और पिछले चार महीने से इसे देखने तक नहीं आ रहे है...अब सेंत स्टीफंस अस्पताल की नर्सरी वर में ही यह पल रहा है...
वी-ओ-1 माँ तेरी ममता और महानता के किस्से तो दुनिया भर में मशहूर है...फिर तू मुझे यह किस कसूर की सजा दे रही है.?...सेंट स्टीफेंस अस्पताल के नर्सरी वार्ड में पिछले ६ महीने से डॉक्टरों और नर्स के दया और दवा के सहारे पल रहा यह बच्चा यदि कुछ बोल पता तो शायद यही सवाल वह कलयुगी माता पिता से पूछता...जो केवल इस दर से इस बच्चे को अस्पताल छोड़ गए इस शायद यह बच्चा मानसिक रूप से कमजोर है...भविष्य में कहीं यह उन पर बोझ न बन जाये...26 जून को सुबह साधे आठ बजे जन्में इस बच्चे के माता पिता लड़का पैदा होने की ख़ुशी में फूले नहीं समां रहे थे...लेकिन जैसे हो डॉक्टरों ने यह कहा की यह बच्चा मानसिक रूप से कुछ कमजोर हो सकता है माता की ममता और पिता का प्यार ही जैसे ख़त्म हो गया...
बाईट---बलबीर सिंह ( पीआरओ. सेंट स्टीफेंस )(काले कोर्ट में )
( इस बच्चे की वैक्यूम डिलेवरी थी, और डोक्टरों ने इसकी हिस्ट्री टाइम तो टाइम क्लियर बता दिया था -------------)
वी-ओ-2 चीकू शुरू से ही कमजोर था..उसे सघन चिकित्स्य की जरूरत थी..लिहाज़ा उसे वेंटिलेटर पर रखा गया..जैसे जैसे अस्तपाल का बिल बढ़ता गया चीकू की प्रति माता पिता का प्यार घटता गया...अब तो चीकू का नाम सुनते ही उसके माता पिता डॉक्टरों को गली देने लागतें है...अस्पताल के रिकॉर्ड में जो फोन नंबर लिखा है उस पर जैसे ही अस्पताल फोन कर बच्चे को घर ले जाने की रिक्वेस्ट करता है इस बच्चे के पिता सुनीता और राजीव अस्पताल पर बरस पडतें है...अब तो फोन भी नहीं सुनते..
बाईट---डा. निर्मल , सेंट स्टीफेंस अस्पताल (चस्मा पहने ) बर्थ के बाद यदि कोई भी प्रोब्लेम्स होती है उसे माँ बाप को बताया जाता है ..इसी तरह इस बच्चे के माता पिता को बताया गया था ...
वी-ओ-३ इस बच्चे की माता पिता काफी सम्पन्न है..पैसे की कोइ दिक्कत नहीं..घर में सब कुछ है नहीं है तो वह घर जिसमें उसके माता पिता उसे प्यार से पालें..बच्चा कितन भी अपंग या बीमार हो...माँ की आँखों का तारा होता है...लेकिन चीकू को तो इस तरह की कोइ ज्याद दिक्कत भी नहीं...फिर माँ की आँखों का यह तारा उसकी आख का काँटा कैसे बन गया...क्यों उसे लेने कोइ नहीं आ रहा..बहरहाल अस्पताल ने अंत में दिल्ली चाईल प्रोटेक्शन कमीशन को लिखित रूप में आवेदन किया है की यह इस पर उचित करवाई करे...चीकू के माता पिता किस वजह से नाराज है..गलती उनकी किस्मत की है या फिर अस्पताल प्रशासन की लेकिन उसकी सजा तो इस मासूम को ही मिल रहे है...
अनिल ............
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