Tuesday, November 30, 2010
अम्बुलेंस कि गाड़ी उसे लेकर तीन तीन बड़े अस्पतालों में लेकर पॉँच घंटे तक घुमती रही....
देश कि राजधानी दिल्ली..विश्व के बेहतरीन शहरों में शुमार दिल्ली..लेकीन इस शहर में एक घायल को इलाज नहीं मिला...अम्बुलेंस कि गाड़ी उसे लेकर तीन तीन बड़े अस्पतालों में लेकर पॉँच घंटे तक घुमती रही....वह तड़पता रह लेकीन किसी अस्पताल को उस पर दया नहीं आयी...नतीजा उसने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया...अब दिल्ली सरकार जहाँ इसकी जांच कि बात कह रही है वहीँ शहर के ये तीनो अस्पताल अपनी जिम्मदारी जबाब देही से पल्ला झाड़ने में लगें है.. इस घटना ने इस विश्व स्तरीय शहर के बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों के नियत ओर काबिलियत कि ही पोल नहीं खोली बल्कि इन बड़े बड़े अस्पतालों में एक आम आदमी क्यों ओर कैसे इलाज कि उम्मीद कर यह सवाल भी फिर से खड़ा कर दिया है...
वी-ओ-1 जहांगीरपुरी के बाबु जगजीवन राम अस्पताल में रोते बिलखते इस परिवार को दिलशा दिलाना मुश्किल है........कहने को तो 50 साल का रामभोर जहाँगीर पुरी मेट्रो स्टेशन के पास एक वहां दुर्घटना का शिकार हुआ है लेकीन उसकी जान ली है दुनिया के बेहतरीन शहरों में शुमार दिल्ली के बेरहम डॉक्टरों कि लापरवाही ने...उन सुविधायों कि कमी ने जिनके चलते रामभोर दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों में अम्बुलेंस में घुमाता रहा लेकीन उसे इलाज कहीं नहीं मिला...जहाँगीर पुरी के रामभोर का कल देर रात उस समय एक अज्ञात वहां से एक्सिडेंट हो गया जब वह आज़ाद पुर मंडी से अपने घर के लिए निकला...लेकीन रात को वह अपने घर नहीं पंहुचा..आज सुबह रामभोर के परिवार को पता लगा कि उसकी एक्सिडेंट में मोत हो गयी है....
बाईट---जग प्रसाद ( मर्तक का चाचा ) ( मंडी में काम करते है..वह कल रात से घर नहीं आया..हम रात भर परेसान रहे....हमने ढूंडा ओर यहाँ आकर पहचाना तब पता लगा,...)
वी-ओ-2 रामभोर को घायल हालत में पहले बाबु जगजीवन राम अस्तपाल ले जाया गया...लेकीन इसे क्या कहा जाये कि दिल्ली के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार इस अस्पताल के पास वह सुविधाएं नहीं थी कि वह रामभोर का इलाज कर सके...लिहाज़ा जगजीवन राम अस्पताल ने सुबह करीब साढे तीन बजे CATS के एम्बुलेंस में ट्राम सेंटर ISBT के लिए रेफैर किया...लेकीन मरीज हालत ओर अपने सुविधायों कि कमी का रोना रोते हुए दिल्ली के इस बड़े अस्पताल ने भी रामभोर का इलाज करने से इनकार कर दिया जो ऐसे मामलों लिए सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है.....जो मशहूर ही ऐसे सुविधायों के लिए है...हद तो यह है कि इस इनकार ओर कागजी खाना पूर्ति में भी ट्राम सेंटर ने करीब आधा घंटा लगा दिया...Troma Centre ने भी घायल को लेने से मना कर दिया और LNJP के लिए रेफर कर दिया और कागजी कारवाई में आध घंटा बर्बाद कर दिया .मरीज तडप रहा था उसकी साँसे निकल रही थी पर अस्पताल कागजी कारवाई में लगा था ...सुबह पांच बजे Troma से रेफर हुआ ये रामभोर कट्स कि अम्बूल्न्स में LNJP पहुचा ..यहाँ भी देश के इस जाने माने अस्पताल ने जान बचाने से मना कर दिया ..तीन अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद आखिर अम्बुलेंस में ही इस अनजान शख्स ने दम तोड़ दिया...
बाईट - प्रदीप राणा ( CATS अम्बुलेंस कर्मचारी ) टेक्स्ट - हमें एक पेतालिस पर कोल मिली थी ...हम पहुचे तब तक तुरंत PCR ले आई थी ..हम पांच बजे ट्रोमा ले गये वहां माना कर दिया .फिर LNJP ले गये वहां भी मना कर दिया फिर हमने देखा कि इसकी मोत हो गई )
वी ओ-3 यह है इस विश्व स्तरीय शहर में आम आदमी कि स्वास्थ्य सुरक्षा का सच...रामभोर को तडफता हुआ देखकर किसी राहगीर ने ही पुलिस को फोन किया..पुलिस को नही दिखा उसे भी राहगीर ने फोन किया ......आप का कहीं अक्सिडेंट हो जाए और कोई दुसरा आपका अपना आपके साथ न हो तो आपकी जान भगवान भरोसे है ..सरकारी तन्त्र आपकों एक अस्पताल से दुसरे में रेफर करता रहेगा आपको बचाने वाला कोई नही..इस घटना के बाद अब जहाँ दिल्ली सरकार ओर सरकारी अस्पताल जाँच कि बात कहा रहे है वहीँ अपने जिम्मेदारी ओर जबाबदेही से भी बचाने में लगे है...एल.एन.जे.पी.अस्पताल में तो रामभोर को भर्ती कर भी लिया गया था..उसका कार्ड भी बन गया था..फिर क्यों उसने उसे कहीं ओर रेफैर कर दिया..? ट्रामा सेंटर हो यह बाबु जगजीवन राम यदि दुघटना घायल दर्द से तड़फते इंसान को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दे सकते तो दिल्ली के विश्व स्तरीय शहर कहने का अभिमान क्यों.? बाहर हाल अब ये अस्पताल अपनी जिम्मेदारी से बचाने कि कवायद में लेगे है...बाबु जगजीवन राम अस्तपाल का कहना है कि उसने अपना एक डोक्टर भी एम्बुलेंस के साथ भेजा था...अब किस अस्पताल ने क्यों इलाज से मना कर दिया यह तो वे अस्तपाल ही जानें...
बाईट---डॉ. सुरेश कुमार ( डिप्टी एम.एस. बाबु जगजीवन राम अस्पताल )
वी-ओ-4
रामभोर कि दर्द नाक मोत ने दिल्ली कि यह फिर दिखा दिया है कि दिल्ली में सड़क हादसों के बाद वह सरकारी अस्त्पतालों पर कितना ओर क्यों भरोसा करें...दिल्ली में सड़क हादसे कितने बड़े पैमाने पर हो रहे है किसी से छिपा नहीं...लेकीन उसे बाद उस घायल को कितनी यातनाओं से गुजरना पड़ सकत है...रामभोर इसका उदहारण है....
Anil Attri Delhi.........
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जिस देश में शरद पवार,राजा जैसे लोग आम आदमी के सुविधा और हक़ खा-खा कर मोटे होते जा रहे हो ,भ्रष्ट उद्योग पति इस देश को और इस देश की जनता को खुले आम लूट रहें हों और देश का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सोया हुआ हो उस देश के राजधानी में नागरिक स्वास्थ्य सेवा का इससे अच्छा हाल कैसे हो सकता है .......कास शीला दीक्षित और वालिया के साथ भी कभी ऐसा ही हो.....
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