Sunday, October 18, 2009

हिंदी साहित्य का का सबसे पहला इतिहास एक अंग्रेज विद्वान ने लिखा और उसके व्यवस्थित रूप के पहले इतिहास को लिखने का श्रेय भी एक अंग्रेज को ही जाता हें

हिंदी साहित्य का का सबसे पहला इतिहास एक अंग्रेज विद्वान ने लिखा और उसके व्यवस्थित रूप के पहले इतिहास को लिखने का श्रेय भी एक अंग्रेज को ही जाता हें .......
गार्सा द तासी : इस्तवार द ला लितेरात्यूर ऐंदुई ऐंदुस्तानी (फ्रेंच विद्वान, फ्रेंच भाषा में, हिंदी साहित्य के पहले इतिहासकार)

जार्ज ग्रिर्यसन : द मॉडर्न वार्नेकूलर लिटरेचर ऑफ़ इंडिया ....

गार्सा द तासी : इस्तवार द ला लितेरात्यूर ऐंदुई ऐंदुस्तानी (फ्रेंच विद्वान, फ्रेंच भाषा में, हिंदी साहित्य के पहले इतिहासकार)
शिवसिंह सेंगर : शिव सिंह सरोज
जार्ज ग्रिर्यसन : द मॉडर्न वर्नेक्यूलर लिट्रैचर आफ हिंदोस्तान

मिश्र बंधु : मिश्र बंधु विनोद

राम चंद्र शुक्ल : हिंदी साहित्य का इतिहास

हजारी प्रसाद द्विवेदी : हिंदी साहित्य की भूमिका; हिंदी साहित्य का आदिकाल; हिंदी साहित्य :उद्भव और विकास

राम कुमार वर्मा : हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास

धीरेन्द्र वर्मा : हिंदी साहित्य

डॉ नगेन्द्र : हिंदी साहित्य का इतिहास; हिंदी वांड्मय 20वीं शती
कासी नागरी प्रचारणी सभा : हिंदी साहित्य का व्रहिद इतिहास

हिंदी फारसी का शब्द है। हिंदी की लिपि देवनागरी है। हिंदी के अलावा यह मराठी भाषा की भी लिपि है। वहां इसे ‘बालबोध’ कहते हैं। देवनागरी का प्रयोग नेपाली भाषा की लिपि के तौर पर भी किया जाता है। इस दृष्टि से देवनागरी अंतर्राष्ट्रीय लिपि है। स्वतंत्र भारत की यह ‘राजलिपि’ है। भारत में देवनागरी भाषा का प्रयोग करने वाले 70 करोड़ लोग हैं।
सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने हिंदी (खड़ी बोली) को कविता—काव्य की भाषा बनाया। सन 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय बहादुर शाह जफर ने लाल किले से राष्ट्र के नाम अपना पहला संदेश हिंदी में दिया था। हिंदी का पहला इतिहास किसी भारतीय ने नहीं बल्कि फ्रांसीसी विद्वान गार्सा-द—तासी ने सन 1839 में ‘इस्तवार द लांलितरेत्यूर एंद्वई—ए—हिंदुस्तान’ नाम से लिखा।
हिंदी साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण इतिहास आचार्य रामंचद्र शुक्ल द्वारा सन 1929 में ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ नाम से लिखा गया था। प्रारम्भ में यह ‘हिंदी शब्द सागर’ नामक कोश के तौर पर लिखा गया था। आधुनिक हिंदी की पढ़ाई का काम अंग्रेजों द्वारा फोर्ट विलियम कालेज में 1803 में शुरू कराया गया था। जानगिल क्राइस्ट पहले हिंदी—अंग्रेजी अध्यापक थे।
उन्होंने भारतीय साहित्यकारों लल्लू लाल, सदल मिश्र, इंशाउल्ला खां और मुंशी सदासुख लाल को ¨हदी लेखन के लिए ‘भाषा मुंशी’ के पद पर नियुक्त किया था। जानकर हैरानी होगी कि हैदर अली और टीपू सुल्तान विदेशों से जो पत्राचार करते थे, वो हिंदी में ही करते थे, जबकि उनकी मातृभाषा व राज्य भाषा कन्नड़ थी। बादशाह अकबर भी हिंदी को दिल से पसंद करते थे। उनके समय में रजवाड़ों को भेजे जाने वाले शाही फरमान हिंदी में ही लिखे जाते थे। अकबर स्वयं हिंदी में कविता करते थे। उन्होंने अपने खास सेवक कलावंत को स्वयं हिंदी सिखाई थी। बादशाह औरंगजेब को भी हिंदी से प्रेम था। एक बार की बात है औरंगजेब को किसी उत्सव में आम के दो फल उपहार में दिए गए और उनसे उन आमों का नामकरण करने का अनुरोध किया गया तो उसने एक नाम ‘सुधाफल’ व दूसरे का नाम ‘रसना विलास’ रखा। सन 1935 में लार्ड बिलियम बेटिंग में ने फारसी के स्थान पर अंग्रेजी को राजभाषा बनाया था जबकि 26 जनवरी 1950 से हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। भारतीय स्वतंत्रता का महासमर भी हिंदी में ही लड़ा गया। लाल, बाल, पाल, गांधी, नेहरू व सुभाष ने अपने भाषण हिंदी में दिए, अपनी मात्रभाषा में नहीं। आजादी के परवानों रामप्रसाद बिस्मिल, भगतसिंह, राजगुरु सुखदेव व चंद्रशेखर द्वारा राष्ट्रभक्ति के तराने हिंदी में ही गाए गए। ¨हदी के अनेक नाम हैं। कबीरदास इसे ‘पूर्बी’ केशव एवं तुलसी दास ‘भाषा’ तो विद्यापति इसे ‘देसिल बअना’ कहते थे। मेरठ के आसपास इसे ‘खड़ी बोली’ कहा जाता है। 18वीं व 19वी शताब्दी में इसे ‘हिंदवी’ कहा जाता था। कांग्रेस के स्वराज्य आंदोलन के समय इसे ‘स्वराज भाषा’ कहते थे। यह नाम राजगोपालाचारी ने दिया था।
स्वतंत्रता संग्राम के समय इसे हिंदुस्तानी कहा जाता था। ¨हदी साहित्य के विकास में मुस्लिम रचनाकारों का भी योगदान है। कबीर, जायसी, रसखान, रहीम, आलम शेख, नूर मुहम्मद, कासिम शाह, शेख नबी, कुतुबन व जमाल कादिर ने हिंदी में कविताएं लिखीं। भारत में 22 राज्यों व केंद्रशासित क्षेत्रों में हिंदी बोली व समझी जाती है। ¨हंदी प्रदेश का क्षेत्र सोवियत संघ के विघटन के बाद बचे रूस के क्षेत्रफल के बराबर है।
सहायक ग्रन्थ : हिंदी साहित्य एक विवेचनात्मक इतिहास , प्रदीप अवस्थी Monday, September 14, 2009 01:11 [IST] , Ramchander Shukl : हिंदी साहित्य का इतिहास, : धीरेन्द्र वर्मा : हिंदी साहित्य

7 comments:

  1. रोचक जानकारी . दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये .

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  2. यह बात निर्विवाद है कि हिन्दी साहित्य का पहल इतिहास फ्रेंच विद्वान गार्सा द तासी ने लिखा । उनके के पश्चात John F E K ने भी अंग्रेजी में हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखा है ,लगभग 1830 के करीब और उसके बाद मिश्र बन्धुओं ने भी लिखा है । ब्लॉग जगत के पाठको और हिन्दी साहित्य प्रेमियों को आपने यह महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की इस के लिये आपका आभार ।

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  3. काश हम अपने पड़ोसियों के क्रियाकलाप पर अनुसँधान करने से आगे भी बढ़ पाते !
    उस ज़माने में यूरोपियन विश्वविद्यालयों में एक फ़ैक़ल्टी हुआ करती थी, इन्डोलोज़ी !

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  4. बहुत बढ़िया जानकारी.

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  5. *अच्छी जानकारी.

    *बहुत विनम्रतापूर्वक मुझे यह कहना है कि शीर्षक में "फ्रेंच" और "अंग्रेज" को एक समझने का भ्रम - सा दिखाई दे रह्हा है। यदि इसे ठीक कर लेवें तो ...

    *टाइपिंग की कुछ गलतियाँ भी सुधारने की जरूरत लग रही है.
    अच्छी जानकारी है इसमें कोई दो राय नहीं , थोड़ा और विस्तार होता तो...

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  6. वास्तव में कुछ गलतीयों का एह्शास हुआ ......... सुधार करूगा.. धन्यवाद ..... जय हीनदी

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